Best 110+ पुराने शायरों की शायरी | Purane Shayaron Ki Shayari (2024)
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 110+ पुराने शायरों की शायरी (Purane Shayaron Ki Shayari) बताई है जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी है और यकीनन आपको पसंद भी आने वाली है। दोस्तों अगर आप भी पुराने जमाने के शायरों को पसंद करते हैं और उनकी शायरी को पढ़ने या सुनना आपको अच्छा लगता है और आप गूगल पर शायरियों को ढूंढ रहे हैं लेकिन आपको शायरी नहीं मिल पा रही है तो अब आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर पहुंचे हैं।
जिसमें हमने आपको 110 से भी ज्यादा ऐसी शायरी बताई है जो कि पहले के शायरों ने लिखी हैं और वह शायरी आपको काफी ज्यादा पसंद भी आने वाली हैं तो दोस्तों अगर आप भी पुरानी शायरियों को पसंद करते हैं तो हमारा आज का यह आर्टिकल बिल्कुल आपके लिए ही है जैसा कि आप जानते ही होंगे पुरानी शायरी बहुत ही दर्द भरी और गहराई वाली शायरी होती है यही कारण है कि आज के समय के भी व्यक्ति उन शायरियों को पसंद करते हैं। तो आएये दोस्तों जानते हैं 110 से भी ज्यादा शायरी कौन सी है।
Best 110+ विरोधियों के लिए शायरी
तुमको ग़म के ज़ज़्बातों से उभारेगा कौन,
अग़र हम भी मुक़र गए तो तुम्हें संभालेगा कौन।
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते,
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी।
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है।
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसान उतारता है कोई।
तुम्हे जो याद करता हुँ मै दुनिया भूल जाता हूँ,
तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ।
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
तन्हाई अच्छी लगती है सवाल तो बहुत करती पर,
जवाब के लिए ज़िद नहीं करती।
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं,
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं।
खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते,
बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते।
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है।
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
मोहब्बत आपनी जगह,
नफरत अपनी जगह मुझे दोनो है तुमसे।
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है।
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,
नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं।
काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी,
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी।
तजुर्बा कहता है रिश्तों में फैसला रखिए,
ज्यादा नजदीकियां अक्सर दर्द दे जाती है।
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं,
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है।
कोई समझे तो एक बात कहूँ साहब,
तनहाई सौ गुना बेहतर है मतलबी लोगों से।
शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।
अगर कसमें सब होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता।
हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,
हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह।
वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था।
मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,
तैयार हुआ तो मौसम बदल चुका था।
तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना,
हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते।
काई सी जम गई है आँखों पर,
सारा मंज़र हरा सा रहता है।
तमाशा करती है मेरी जिंदगी,
गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं।
वो चीज जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख कर कहीं।
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते।
वफा की उम्मीद ना करो उन लोगों से,
जो मिलते हैं किसी और से होते है किसी और के।
उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर चले,
जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले।
वो जो उठातें हैं क़िरदार पर उंगलियां,
तोहफे में उनको आप आईने दीजिए।
आज मैंने खुद से एक वादा किया है,
माफ़ी मांगूंगा तुझसे तुझे रुसवा किया है।
हर मोड़ पर रहूँगा मैं तेरे साथ साथ,
अनजाने में मैंने तुझको बहुत दर्द दिया है।
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ।
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है।
कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया,
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की।
इतने लोगों में कह दो अपनी आँखों से,
इतना ऊँचा न ऐसे बोला करे लोग मेरा नाम जान जाते हैं।
मंजर भी बेनूर था और फिजायें भी बेरंग थीं,
बस फिर तुम याद आये और मौसम सुहाना हो गया।
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ,
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की।
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन दिल के पास होता है।
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
कोई अटका हुआ है पल शायद,
वक़्त में पड़ गया है बल शायद।
उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है,
उनके इंतजार में दिल तरसता है।
क्या कहें इस कम्बख्त दिल को,
अपना हो कर किसी और के लिए धड़कता है।
बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मतं कोसो हर हाल में चलना सीखो।
कहानी शुरू हुई है तो खतम भी होगी,
किरदार गर काबिल हुए तो याद रखे जाएंगे।
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
तुझे पाने की जिद थी अब भुलाने का ख्वाब है,
ना जिद पूरी हुई और ना ही ख्वाब।
सब तरह की दीवानगी से वाकिफ हुए हम,
पर मा जैसा चाहने वाला जमाने भर में ना था।
कोई आहट नही बदन की कहीं,
फिर भी लगता है तू यहीं है कहीं।
इश्क़ की तलाश में क्यों निकलते हो तुम,
इश्क़ खुद तलाश लेता है जिसे बर्बाद करना होता है।
वक्त जाता सुनाई देता है,
तेरा साया दिखाई देता है।
सालों बाद मिले वो गले लगाकर रोने लगे,
जाते वक़्त जिसने कहा था तुम्हारे जैसे हजार मिलेंगे।
मुझे मालूम था कि वो मेरा हो नही सकता,
मगर देखो मुझे फिर भी मोहब्बत हो गई उससे।
ख़ामोश रहने में दम घुटता है और बोलने से,
ज़बान छिलती है डर लगता है नंगे पांव मुझे।
कहीं किसी रोज यूं भी होता हमारी हालत तुम्हारी होती,
जो रातें हमने गुजारी मरके वो रातें तुमने गुजारी होती।
उतार कर फेंक दी उसने तोहफे में मिली पायल,
उसे डर था छनकेगी तो याद जरूर आऊंगा मै।
दिल के रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते है,
वरना मुलाकात तो रोज हजारों से होती है।
वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए।
पूरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता है,
भूल जाता है कि आधा चाँद भी खूबसूरत होता है।
मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी है,
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलत फहमिया जरूरी होती है।
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।
जायका अलग है मेरे लफ्जों का,
कोई समझ नहीं पाता कोई भुला नहीं पाता।
वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर,
आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं।
थोड़ा सा रफू करके देखिए ना,
फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है।
यू तो जिंदगी तुझसे शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारे बहुत थी।
मैंने अपनी जिंदगी के सारे महंगे सबक,
सस्ते लोगों से ही सीखें हैं।
पलट कर जवाब देना बेशक गलत है लेकिन,
सुनते रहो तो लोग बोलने की हदें भूल जाते हैं।
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
आदतें बदल जाया करती है अक्सर,
ढूढो उसे जो लत बन सके तुम्हारी।
जिंदगी में एक बात तो तय है,
कि तय कुछ भी नही है।
किसी ने मुझसे पूछा चाय या मोहब्बत,
हमने मुस्कुराके कहा मोहब्बत के हाथों से चाय।
होंठों पे मुस्कान थी कंधो पे बस्ता था,
सुकून के मामले में वो जमाना सस्ता था।
एक औरत के चेहरे पर सारे रंग एक मर्द की वजह से ही आते है,
चाहे वह ख़ुशी के हो या गम के।
जमाना बदल गया साहब,
अब लोग मासूमो को बेवकूफ समझते है।
जख्म वही जो छुपाये जाये,
बताने पर तमाशा बन जाती है।
इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी,
हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां।
माना कि जिंदगी में दिक्कतें कम नहीं,
पर कम से कम जीने को जिंदगी है क्या यही काफी नही।
अकेले चलना सीख लो जरूरी नही है जो,
आज आपके साथ है वह कल भी आपके साथ रहेगा।
निगाहों से भी चोट लगती है जनाब,
जब कोई देख कर भी अनदेखा कर देता है।
गलत जगह सम्मान दे दिया व्यर्थ दे दिया प्यार,
हीरे की कीमत क्या जाने कचरे के ठेकेदार।
इतनी सी जिंदगी है पर ख्वाब बहुत है,
जुर्म तो पता नही साहब पर इल्ज़ाम बहुत है।
मिजाज में थोड़ी सख्ती लाजमी है साहब,
लोग पी जाते अगर समुन्दर खारा न होता।
शाखे रही तो साहब फूल भी पत्ते भी आएंगे,
ये दिन अगर बुरे है तो अच्छे भी आएंगे।
जिंदगी ख़तम हो जाती है लोगों की,
पर लोग जीना शुरू नहीं कर पाते।
तकदीर ने यह कह कर बड़ी तसल्ली दी है मुझे कि,
वे लोग तेरे काबिल नही थे जिन्हे तुझसे दूर किया मैंने।
यूँ भी एक बार तो होता कि समुंदर बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता।
ये रोटियाँ हैं ये सिक्के हैं और दाएरे हैं,
ये एक दूजे को दिन भर पकड़ते रहते हैं।
तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे कोई किसी को भूल रहा हैं।
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं,
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं।
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
आदतन तुम ने कर दिए वादे,
आदतन हम ने ए’तिबार किया।
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे।
काई सी जम गई है आँखों पर,
सारा मंज़र हरा सा रहता है।
सहर न आई कई बार नींद से जागे,
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले।
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
अच्छी किताबें और अच्छे लोग तुरंत,
समझ में नहीं आते हैं उन्हें पड़ना पड़ता हैं।
कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छीन लेती हैं।
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं,
सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी।
आँखों के पोछने से लगा आग का पता,
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ।
दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है,
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में।
जब दिमाग में कुछ नहीं होता है तब तुम होते हो,
दिल खाली सा होता है तब भी दिल तुम होते हो।
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
Best 105+ फनी न्यू ईयर शायरी इन हिंदी
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 110+ पुराने शायरों की शायरी (Purane Shayaron Ki Shayari) बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी है और यकीनन आपको पसंद भी आई होंगी। आशा करते हैं कि आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया होगा अगर आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में जरुर शेयर करें ताकि वह भी हमारे आज के इस आर्टिकल को पढ़ सकें और पुराने शायरों की शायरी को पढ़ सकें।