Best 101+ Munawar Faruqui Shayari | मुनव्वर फारुकी शायरी (2024)
दोस्तों शायरी सुनना और पढ़ना हम सभी को अच्छा नहीं लगता है। हम लोग जब अपने दोस्तों के साथ होते हैं तब हमेशा ही करने का बड़ा शौक आता है और हम अपने दोस्तों में एक दूसरे को शायरी सुनाते हैं। आज हम आपके लिए एक ऐसी ही बहुत प्रसिद्ध शायरीयां लेकर आए हैं ये शायरियां Munawar Faruqui Shayari है।
अपने Munawar Faruqui Shayari (मुनव्वर फारूकी शायरी) तो सुनी होगी। यदि आपने Munawar Faruqui Shayari (मुनव्वर फारूकी शायरी) सुनी नहीं है तो आज की इस पोस्ट में आप Munawar Faruqui Shayari (मुनव्वर फारूकी शायरी) के बारे में जान पाएंगे। Munawar Faruqui ने प्यार के ऊपर काफी शायरी पड़ी है जिसमें Munawar Faruqui ने प्यार मोहब्बत के रिश्ते को शायरी के रूप में जोड़े रखने का प्रयास किया है।
आंखों का सुकून तो किसी के दिल की ठंडक हो गया,
एहसास ना हुआ मुझे, मैं तो पिघलता हुआ बर्फ हो गया,
एक मौका मिल ही गया मुझसे जलने वालों को,
जाते-जाते उनके जलन की राहत बन गया।
कोई खास दुश्मनी नहीं मुझेसे तुम्हारी,
मेरे सपनों से छोटी रियासतें तुम्हारी,
मेरे पैरों को काटने की नाकाम कोशिश मुबारक हो,
मेरे खुदा से ऊंची नहीं पहुंच तुम्हारी।
उड़ना नहीं है बस चलना सीख लू,
जुल्म ना हो किसी पर मुझे, मैं वो रहम सीख लूं,
काबिल नहीं हूं जो कुछ मिला है,
डर है कहीं चाल गमंद न सीख लूं,
मेहनत इज्जत कोशिश शिकायत सब कर ली मैंने,
अब करना थोड़ा सब सीख लूं।
सुकून के ख्वाब मेरे नाम नहीं कर रही,
यह दवाए नींद अब मुझ पर काम नहीं कर रही,
मेरे दर्द का गुनाह उनके सर पर है,
यह तबीयत है मेरी जो उन्हें बदनाम नहीं कर रही।
हाथ ठंडे, दिल पर आग लिए बैठा हूं,
चेहरे पर हंसी, आंखों में आग लिए बैठा हूं,
परवाह नहीं मुझे इन बेनींद रातों की,
मैं ख्वाबों को पूरे करने की जिद्द लिए बैठा हूं।
तेरे जलाल से अब तक यह दुनिया बेवफा थी,
गुनाहों से भरी इनकी शर्मे शौक थी,
जाने किसके सजदे से चल रहा है निजाम दुनिया का,
कायनात के लिए उस बच्चे की भूख होती थी।
फायदा उठाया है मुझे नजरअंदाज भी किया है,
सुना के फसाने झूठ के मुझे बर्बाद भी किया है,
मैं भी जिम्मेदार हूं मेरी जिल्लत का,
मैंने गैरों पर नहीं अपनों पर ऐतबार किया है।
मैं बोझ लेकर चला हूं उम्मीदो का,
बड़ी मशक्कत से मंजिल दिखी है,
रोशनी के नाम बस चिराग था पास,
मैंने यह सुबह रात जाग कर ली है।
मैं अपनी करवातों का हिसाब लिए बैठा हूँ,
मैं राजदार उनके राज लिए बैठा हूं,
नहीं है गर्ज अब कोई परछाई बने मेरी,
मैं अपने साए से नफरत किए बैठा हूं।
प्यार वही है बस बताना छोड़ दिया,
महफिल पसंद तेरी बस आना छोड़ दिया,
कम जिद्दी नहीं है वफा यह मेरी,
तूने जब से आजमाना छोड़ा मैंने भी मानना छोड़ दिया।
यह दुनिया मिलना चाहती है मुझसे,
नहीं जो दुनिया में, मैं मिलना चाहता हूं उनसे।
तेरे जैसी ढूंढो मैं मिलती नहीं है,
घड़ी वक्त की तेरे बिना गलती नहीं है,
यह सारी लुटती मुझ पर खुद को,
बस तेरे आगे मेरी चलती नहीं है।
रहमत हजार लेकिन मोहब्बत से महसूस रहूंगा,
मत पूछो मुझे एक शिकायत उनकी खुदा से करूंगा,
मेरे नाम का जिक्र हो तो दुआ भेजना सुकून की,
मैं मुनव्वर मरने के बाद भी मशहूर रहूंगा।
रुसवा तो मैं तुझे भी कर दूं लेकिन,
बाकी मुझ में लिहाज है,
पूरा शहर मेरा मुरीद बस तेरा मोहल्ला मेरे खिलाफ है।
मैं बोझ लेकर चला हूं उम्मीदो का,
बढ़ी मशक्कत से मंजिल दिखी है,
रौशनी के नाम बस चिराग था पास,
मैंने ये सुबह रात जाग के लिखी है।
खुद नहीं बस मैं इंसान से जुदा हूं,
उम्र से नहीं तजुर्बे से बूढ़ा हूँ।
तू चाहे मैं बनू पहला प्यार तेरा,
मैं मैंखानों का शराबी तू ना पहला जाम मेरा,
है लुट चूका पूरा बाजार मेरा,
जो बेकार खुद हो मुझे क्या करार देगा।
तुम जिद करके बैठे हो मेरा नाम नहीं लोगे,
फिर यूं याद करके हिचकीयां क्यों दे रहे हो।
तेरा काम जालना सही, मेरा काम बुझाना रहेगा,
तुझ में और मुझ में फर्क है छोटे वह हमेशा रहेगा।
तेरी मौजूदगी का एतराम कर भी लूं,
जब होगा रूबरू तो यह जज्बात कहां छुपाऊंगा।
वह ढूंढ रहे हैं वजह मेरी मुस्कान की,
नादान मेरे सजदों से बेखबर हैं।
वो राज की तरह मेरी यह बातों में था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊं तुम्हें कल रात का,
सितारों की भीड़ में वो चांद मेरे हाथ में था।
तू बेचैन नहीं, मुझे चैन नहीं,
तुझे जरूरत नहीं मेरी और कोई जरूरत नहीं,
एक वक्त के बाद की मोहब्बत किसी से,
तुझे कदर नहीं मुझे सबर नहीं।
वह झूठे वादे करते हैं मगर मिलने नहीं आते,
हम भी कम बख्त इश्क के बाज नहीं आते।
आसान सा कुछ करना होता तो पहाड़ तोड़ लेते,
हमें तो कम वक्त इश्क करना था।
खाली दिल खाली हाथ,
यादों से बनके मकान रखा है,
मुस्कुराते भी तो झूठा हो तुम,
जाने क्या हाल बना रखा है।
ये धुप चुभ रही है माँ,
काश तेरा साया होता।
फल ही इतने लगे हुए थे पेड़ पर,
लोगों का पत्थर मारना लाजमी था
अब नहीं है हम चिरागों के मेहताज,
उसकी आंखें महफिल रोशन करती हैं,
मैं किताबें फिर से अलमारी से रख आया हूं,
सुना है वह ब कमाल इंसान पड़ती है।
एक तरफा मोहब्बत के किससे मुझे मत सुनाओ,
मैंने उसके बाद खुद से मोहब्बत नहीं की।
वो ख्वाब कंधों पे लिए चलते हैं,
वह नसीब हाथों में लिए चलते हैं।
बादशाहों को सिखाया गया है कलंदर होना,
आप आसन समझते हैं मुनावर होना।
नहीं कोई वाकिफ कितना दर्द लिए चलता हूं,
टूटता हर सुबह जब आईना देखता हूं,
झूम के चलता हूं हंस के मिलता हूं,
मैं रोज ऐसे कितनों को दगा देता हूं।
मेरे ख्वाब इन पहाड़ो से बड़े हैं,
तूफान में कागज की कश्ती लिए खड़े हैं,
यह कैसे रोकेंगे आसमान से आने वाले मेरे रिश्क को,
मैं जमीन पर हूं और यह पर काटने चले हैं।
बिन बताए उसने क्यों यह दूरी कर दी,
पिछड़कर उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में गम आए तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी करती।
एक शायरी लिखी है, कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा,
तेरी सीरत सफ़ शीश की तरह, मेरे दामन में दाग हज़ारों हैं।
तू नायाब किसी पत्थर की तरह,
मेरा उठना बाजारों में है, तेरी मौजुदगी का एहतेराम कर भी लूं,
जब होगा रूबरू तो ये जज्बात कहां छुपाऊंगा,
एक उमर लेके आना,
मैं खाली किताबें ले आऊंगा,
तोड़ कर लाने के वादे नहीं,
मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा।
मेरी सब्र की इंतेहा पर शक कैसा,
मैने तेरे आने जाने पे ता उम्र लिखी है,
ज़मीन पर कोई खास नहीं मेरा,
तू एक बार कुबूल कर,
मैं अपने गवाहों को आसमां से बुलाऊंगा।
एक शायरी लिखी है,
कभी मिलोगी तो सुनाऊंगा।
पूछेंगे किसकी है ये लोहे जैसी विरासत,
कहना वो डोंगरी वाला आग लेके आया था।
मेरे ग़म तो मेरी हंसी में दबा बैठा है,
राहतों का दौर, मेरी राहों में मुझे लूट बैठा है,
वो क्या ज़लालत करेगा मेरी जात को,
जबकि मेरा खुदा, मेरा गुनाह माफ किये बैठा है।
दिन भर हँसी शकल लेके चलना,
रोते सजदों में और गीले तक़ियों पर सोना।
कोई कहता है तेरा आना मुश्किल होगा,
कोई कहता है तेरा जाना मुश्किल होगा,
खुदा ने खुशियां फेलाने भेजा है,
यकीन करो रुकना मुश्किल होगा।
उसका इंतजार मैं लिखता हूं अब मैं रुकूं कैसे,
वो आज गली से गुजरा है में आगे लिखूं कैसे,
गमान ए हुस्न है शायद उनको खुद पे,
अब मैं ईमान पर रहकर तकब्बुर सीखूं कैसे।
टूटने पे इनकी ख्वाहिश पूरी होगी,
सही कहते हैं मैं सितारा बन गया हूँ।
रिज़क की परवाह नहीं, जो लिखा है वो मिलेगा,
कलाई की कला देख, जो लिखूं मैं वो बिकेगा।
हाथ ठंडे, दिल में आग लिए बैठा हूँ
चेहरे पे हंसी, आँखों में आग लिए बैठा हूँ
परवाह नहीं मुझे इन बेनींद रातों की
मैं ख्वाबों को पूरे करने की ज़िद्द लिए बैठा हूँ।
मेने साये लिए है खुद के, वो मुझसे दूर नही जाते,
बाजारों में रौनक लोट आई है, लगता है वो बेपर्दा बाजार आई है।
ख़्वाबों को मैंने थपकी देके सुलाया है,
और उन्हे पूरा करने खुद को कई रात जगाया है।
वो ढूंढ़ रहे हैं वजाह मेरे मुस्कान की,
नादान मेरे सजदो से बेखबर है।
एक उमर लेके आना मैं खाली किताब ले आउंगा,
तोड़ कर लाने के वादे नहीं मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा।
ज़ुल्म करने वाले एक दिन ज़रुर दुबेंगे,
मेरा याकीन तो समंदर से भी गहरा है।
वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था।
मौत मुकम्बल मैं डरने वाला नहीं हूँ,
हक है मैं लड़ने वाला नहीं हूँ,
तालियों से जब मैं भर न दू स्टेडियम,
कसम खुदा की मैं मरने वाला नहीं हु।
फिर भी जीत गया उस दर्द की महफ़िल में,
मैं ही अकेला इंसान था, जो बिना मां के पला था।
सोच हूँ, नादान हूँ सब्र करने वाला तो कभी बेकारार हूँ,
तेज़ शायर तो कभी बेजुबान हूँ,
खड़ा होना बस का नहीं तेरे,
तू अमीर सही, मैं नयाब हूँ।
मेने साये लिए है खुद के,
वो मुझसे दूर नही जाते।
बाजारों में रौनक लोट आई है,
लगता है वो बेपर्दा बाजार आई है।
दर्द ऐसे छुपाते हैं जैसे कोई गुनाह किया हो,
वो हर रात घर मुस्कुराता चेहरा लिए चलते हैं।
सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में,
मेरे ला हासिल बचपन को वो झूला दिखाओगे ।
कहना शायद मुस्किल होगा,
तुझे कितना चाहता हूं,
तुझे आने वाली हिचकियों से माफी चाहता हूं।
तकिये पीले हैं आंसुओं से,
क्या तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे।
मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में,
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा।
मेरे सीने पे सर रखके सोना तेरा किसी दिन जान लेगा मेरी,
की सांसों को रोक रखता हूँ कहीं तेरी आंख न खुल जाए।
खुदा नहीं, मैं बस इंसानों से जुदा हूं,
उमर से नहीं तजुर्बें से बुड्ढा हूं।
मेरे अंदर के अंधेरे को करने दो शिकायत,
हसा कर लाखो चेहरे को रोशन किया है मेने।
वो जुल्फों से दिन में रातें करती है,
उनकी आँखे ताउम्र की वादे करती है,
भरती है आहे हमारी आवाज़ को छूकर,
वो बस मुस्कुरा के बरसा के करती है।
कोई ठोकर खाके बैठा था, कोई गम में डूबा था,
किसी ने बड़े दर्द सहे थे तो कोई बरबाद हुआ था।
बहती हुई वो, रुका हुआ मैं,
मुक़म्मल सी वो, टूटा हुआ मैं।
बिना वजह इनका जलना मुझपे आम है,
खैर पूछते है जब होता कोई मुझसे काम है,
चिल्लर जैसे बजते आस पास मेरे ये,
इनकी अक्कलों से भी मोटे मुझपे दाम है।
वो मुझे दूर करने की ज़िद लिए बैठा है,
साथ चलना नहीं है मंजिल का वादा कर बैठा है,
मुझे मोहब्बत है समंदर की उन लहरों से,
और मेरा महबूब पहाड़ो को दिल दिया बैठा है।
जल रहे है वो मुझे खुश देख कर,
कोई उन्हें मेरा दुख बता कर खुश करदो।
झूलम करने वाले एक दिन जरूर डूबेंगे,
मेरा यकीन समंदर से भी गहरा है,
सुनो तुम ख्वाब देखो, में पूरा करके आता हूं।
मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिख दूं,
मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू,
दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे,
खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दूं।
सोच हूँ, नादान हूँ सब्र करने वाला तो कभी बेकारार हूँ,
तेज़ शायर तो कभी बेजुबान हूँ,
खड़ा होना बस का नहीं तेरे, तू अमीर सही, मैं नयाब हूँ।
बहती हुई है वो में रुका हुआ हूं, मुकमल सी वो,
टूट हुआ में.मेरा ज़िक्र बंद करो मैं कोई आयत नहीं हूँ,
दुनिया फरेबी मैं खुद वफ़ा के लायक नहीं हूँ।
कुछ रास्ता लिख देगा कुछ मै लिख दूंगा,
वो लिखते जाए मुश्किल मै मंज़िल लिख दूंगा।
वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था..!
मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में,
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा।
वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का।
बादशाहो ने सिखाया कलंदर होना,
तुम आसान समझते हो क्या मुनव्वर होना।
दिन भर हंसती सकल लेकर चलना,
रोते सजदों में और गीले तकियो में सोना।
कितने दिल दुखाओगे बस करो,
ये काला काजल लगाना बस करो।
एकबार अगर देख ली जुल्फे खुली किसी ने,
मर जाएंगे कई सुनो बाल बाँध लो।
तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं,
जब होगा रूबरु तो ये ज़ज़बात कहाँ छुपाऊंगा।
तेरा काम जलाना सही,
मेरा काम बुझाना रहेगा,
तुझमें और मुझमें फर्क है छोटे,
वो हमेशा रहेगाआंखों का सुकुन तो,
किसी के दिल की ठंडक हो गया।
एहसास न हुआ मुझे, मैं तो पिघलता हुआ बर्फ़ हो गया,
आंखों का सुकुन तो, किसी के दिल की ठंडक हो गया,
एहसास न हुआ मुझे, मैं तो पिघलता हुआ बर्फ़ हो गया।
हँसा कर चेहरों को खूब रोशन किया है मैंने,
मेरे अंदर के अंधेरे, मुझसे बड़ी शिकायतें करते हैं।
अब नहीं है हम चिरागों के मोहताज,
उसकी आँखें महफिले रोशन करती हैं,
मै किताबें फिर से अलमारी मे रख आया हूँ,
सुना है वह बा कमाल इन्सान पढ़ती है.मेरे गम को हसी में दबा बैठा है,
राहतों का दौर अपनी राहों में लुटा बैठा है,
वो क्या ज़लील करेगा मेरी जात को,
जब कि मेरा खुदा मेरे गुनाहे छुपा बैठा है।
कोई कहता है तेरा जाना मुश्किल होगा,
खुदा ने खुशियाँ फैलाने भेजा है,
यकीन करो रोक पाना मुश्किल होगा,
स्टेज से रोका तो सड़कों को स्टेज बना दूंगाकहना शायद मुस्किल होगा।
तुझे कितना चाहता हूं,
तुझे आने वाली हिचकियों से माफी चाहता हूँ।
कोई ठोकर खाके बैठा था, कोई गम में डूबा था,
किसी ने बड़े दर्द सहे थे तो कोई बरबाद हुआ था।
हसी की तिजारत कर रहा था शहरों में राहतें ढूंढ रहा था,
था गैरो में मुझे आने में देर हुई, माफ़ करना अपनों के तोड़े कांच थे पैरों में।
वो था तूफान जो दस्तक देकर आया था,
अकेला था लगा था लश्कर लेकर आया था,
वो पूछोगे किसकी है ये लोहे जैसी लेगेसी,
कहना वो डोंगरी वाला आग लेकर आया था।
कितने दिल दुखाओगे बस करो,
ये काला काजल लगाना बस करो,
एकबार अगर देख ली जुल्फे खुली किसी ने,
मर जाएंगे कई सुनो बाल बांध लो।
वो राज की तरह मेरी बातों में था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ में वो चांद मेरे हाथों में था।
खड़ा बुलन्दी पे खुदा लाख शुक्र करू,
आमाल खास नही तो आख़िरत की फिक्र करू,
उज़्को शायद पसंद है मेरा टूटना मुसीबत भेजता है,
ताकि उसका जिक्र करू।
मेरे गम को हसी में दबा बैठा है,
राहतों का दौर अपनी राहों में लुटा बैठा है,
वो क्या जलील करेगा मेरी जात को,
जब की मेरा खुदा मेरे गुनाह छुपा बैठा है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए मुनव्वर फारूकी शायरी (Munawar Faruqui Shayari) लेकर आए। उम्मीद करता हूं आपको मुनव्वर फारूकी शायरी पसंद आई होगी। इसी तरह की शायरियां हम अपनी इस वेबसाइट पर लेकर आते रहते हैं जिन्हें आप अपने दोस्तों में शेयर कर सकते हैं। इसी तरह की प्यार भरी शायरियां पढ़ने के लिए जुड़े रहिए “Suvicharin.com” वेबसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।