Best 101+ Black Day Shayari | ब्लैक डे शायरी हिंदी में (2024)
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 101+ Black Day Shayari बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी है और यकीनन आपको काफी ज्यादा पसंद भी आने वाली हैं दोस्तों जैसा कि हम जानते ही हैं हमने 14 फरवरी को पुलवामा अटैक के हमले में अपने 40 से भी ज्यादा सैनिक को दिए थे उन्हें सैनिकों की याद में आज भी हम 14 फरवरी को पुलवामा अटैक डे मनाते हैं और 14 फरवरी को हम ब्लैक डे शायरी के द्वारा सभी सैनिकों को याद करते हैं।
दोस्तों 14 फरवरी को पुलवामा अटैक हमले में भारत ने अपनी 40 से भी ज्यादा जवान को दिए थे। दोस्तों इस बार भी 14 फरवरी आने में कुछ ही दिन रह गये हैं तो दोस्तों अगर आप भी 14 फरवरी पर Black Day Shayari को पढना चाहते हैं या फिर अपने दोस्तों में शेयर करना चाहते हैं तो अब आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 101 से भी ज्यादा ब्लैक डे शायरी बताई हैं।
कैसे भूल सकूंगा मैं जीवन के उसे मंजर को,
जब झंडे में लिपटकर आए जवान घर के अंदर हो।
आज़ादी की कभी शाम नहीं होने देंगे,
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे।
बची हो जो एक बूंद भी गरम लहू की,
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे।
खून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
दिल में छुपे दर्द को बयां करती है 14 की यादें,
काले दिन की शायरी में बसता है अब आलम-ए-तन्हाई।
वतन से मोहब्बत हो इस कदर निभा गए,
मोहब्बत के दिन वतन पर जान लुटा गए।
लहराएगा तिरंगा अब सारे आसमान पर,
भारत का नाम होगा सब की जुबान पर।
ले लेंगे उसकी जान या दे देंगे अपनी जान,
कोई जो उठायेगा आँख हमारे हिंदुस्तान पर।
भारत देश हमको जान से प्यारा है,
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है।
न बर्षा में गलें न सर्दी से डरें न गर्मी से तपें,
हम फौजी इस देश की शान है।
प्यार की बारिश में भिगोने वाली वो रातें,
आज उनकी यादों से हो गई हैं काले दिन की बातें।
प्रेम दिवस को उन्होंने इश्क अपना दिखाया था,
पुलवामा की उस धरती को खून से अपने भिगोया था।
बहुत पाक रही वो आशिकी उनकी,
इश्क वतन से करके जिन्होंने तिरंगे को अपना बनाया था।
हर वक़्त मेरी आँखों में धरती का स्वपन हो,
जब कभी मरू तो तिरंगा मेरा कफ़न हो।
और कोई ख्वाहिश नहीं ज़िंदगी में अब,
जब कभी जनमु तो भारत मेरा वतन हो।
मैं भारतवर्ष का हरदम अमित सम्मान करता हूं,
यहां की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूं।
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफन मेरा बस यही अरमान रखता हूं।
एक्स की यादों से सजीव हो गई आज तारीख़,
१४ फरवरी की शायरी में छुपी है बेवफ़ाई की बीती रातें।
उन आंखों की दो बूंद से समुंदर भी हारा होगा।
जब मेहंदी वाले हाथों ने अपना मंगलसूत्र उतारा होगा।
गूंजे कहीं पर शंख, कहीं पे अजान है,
बाइबिल है ग्रन्थ साहब है गीता का ज्ञान है।
दुनिया में कहीं और यह मंज़र नसीब नहीं,
दिखाओ ज़माने को ये हिंदुस्तान है।
कौन से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
प्रेम दिवस कैसे मनाता, जब चारो तरफ गम के बादल छाए थे ..
नमन हैं मेरा उन शहिदो को, जो तिरंगा ओढ कर आए थे।
मां का चेहरा लाल पड़ा था पलके उसकी गीली थी,
दादाजी की छड़ी पर उनकी पकड़ बड़ी ही ढीली थी।
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं,
मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं।
करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों,
तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है।
आओ झुक कर सलाम करें उनको जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है,
खुशनसीब होता है वह खून जो देश के काम आता है।
किसी गजरे की खुशबू को महकता छोड़ आया हूँ,
मेरी नन्ही की चिड़िया को चहकना छोड़ आया हूँ।
मुझे छाती से अपनी लगा लेना भारत माँ
मै अपनी माँ की बाहो को तरसता छोड़ आया हूँ।
बस ये बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना।
लहू देकर जिसकी हिफाज़त की शहीदों ने,
उस तिरंगे को सदा दिल में बसाये रखना।
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा,
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा।
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए,
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये।
सैकड़ो परिंदे आसमान पर नजर आने लगे,
शहीदों ने दिखाई है रहा उन्हें आजादी से उड़ने की।
देश के शहीदों को नमन जय हिंद जय शहीद।
नींद उड़ गयी यह सोच कर कि हमने क्या किया है देश के लिए,
आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए।
दिल हमारे एक हैं एक ही है हमारी जान,
हिंदुस्तान हमारा है हम हैं इसकी शान।
जान लुटा देंगे वतन पे हो जायेंगे कुर्बान,
इसलिए हम कहते हैं मेरा भारत महान।
सीनें में ज़ुनू ऑखों में देंशभक्ति की चमक रखता हुँ,
दुश्मन के साँसें थम जाए आवाज में वो धमक रखता हुँ।
तीर खान की हवस है तो जिगर पैदा कर,
सरफरोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर।
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जो देश के लिए शहीद हुए उनको मेरा सलाम है,
अपने खूं से जिस जमीं को सींचा उन बहादुरों को सलाम है
दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान है।
सर हमेशा ऊँचा रखना इसका जब तक तुझ में जान है।
वतन के रखवाले हैं हम,
शेर -ए-जिग़र वाले हैं हम।
मौत से हमें क्यों डर लगेगा,
मौत को बाँहों में पाले हैं हम।
आने वाले जलाते ही हैं चराग आखिर,
यह क्या कहा कि हवा तेज है जमाने की।
ऐसी भारत मां के बेटे मान गंवाना क्या जाने
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने।
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी,
नए दौर में लिखेंगे मिल कर नयी कहानी हम हिंदुस्तानी।
इतनी सी बात हवाओं को बताये रखना,
रौशनी होगी चिरागों को जलाये रखना।
लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने,
ऐसे तिरंगे को हमेशा दिल में बसाये रखना।
अगर मैं लिखूं तो पूरी किताब लिख दूं,
तेरे लिए हर दर्द का हिसाब लिख दूं।
डरता हूं कहीं तू बदनाम ना हो जाए,
वरना तेरे हर दर्द की कहानी में मेरा हर ख्वाब लिख दूं।
उस धरती के अमर सिपाही पीठ दिखाना क्या जाने
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने।
न सर झुका है कभी और न झुकायेंगे कभी,
जो अपने दम पे जिए सच में ज़िन्दगी है वही।
कभी सनम को छोड़ कर देख लेना,
कभी शहीदों को याद करके देख लेना।
कोई महबूब नहीं है वतन जैसा यारो,
देश से कभी इश्क करके देख लेना।
तेरे शहीद को दूल्हा बना हुआ देखा,
रवां जनाजे के पीछे बारात कितनी है।
जिस मिट्टी में बचपन खिला ,वहि देश के लिए मरते हैं..
दुश्मनो से लडकर भी, इस देश कि सेवा करते हैं।
काले गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है,
कुछ और न आता हो हमको हमें प्यार निभाना आता है।
ए मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा,
यह शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा।
इंतजार करो इनका ऐ अजा-दारो,
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते।
शहादत के किस्से इंकलाब की कहानी
पन्नो में सिमट कर ना रह जाए वीर जवानों की कुर्बानी।
मैं मुस्लिम हूँ, तू हिन्दू है हैं दोनों इंसान,
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूँ, तू पढ ले कुरान।
अपने तो दिल में है दोस्त, बस एक ही अरमान,
एक थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान।
जब देश में थी दीवाली वह खेल रहे थे होली,
जब हम बैठे थे घरों में वह झेल रहे थे गोली।
क्या लोग थे वह अभिमानी है धन्य उनकी जवानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी।
हम खून की किस्ते तो कई दे चुके लेकिन,
ऐ ख़ाक-ए-वतन क़र्ज़ अदा क्यों नहीं होता।
नींद उड़ गयी यह सोच कर की हमने क्या किया है देश के लिए
आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए।
संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे,
हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे।
हम मिलजुल के रहे ऐसे कि,
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम बसे जैसे।
मैं रहूं या ना रहूं पर यह वादा है तुमसे मेरा,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा।
शहीदों के खून का असर देख लेना,
मिटाएंगे जालिम का घर देख लेना।
जो देश के लिए शहीद हुए उनको मेरा सलाम है,
अपने खूं से जिस जमीं को सींचा उन बहादुरों को सलाम है।
आज मुझे फिर इस बात का गुमान हो,
मस्जिद में भजन मंदिरों में अज़ान हो।
खून का रंग फिर एक जैसा हो,
तुम मनाओ दिवाली मेरे घर रमजान हो।
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा।
रहने दो सदा दहर में आता नहीं कोई,
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई।
ऐसी भारत मां के बेटे मान गंवाना क्या जाने
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने।
दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि मजहब बीच में न आये कभी,
तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आये कभी।
लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।
भिगोकर खून में वर्दी कहानी दे गए,
देश के लिए मोहब्बत की सच्ची निशानी दे गए।
मनाते रह गए वैलेंटाइन डे यहां तुम,
वहां कश्मीर में सैनिक अपनी जवानी दे गए।
उस धरती के अमर सिपाही पीठ दिखाना क्या जाने
मेरे देश के लाल हठीले शीश झुकाना क्या जाने।
बड़े अनमोल हे ये खून के रिश्ते इनको तू बेकार न कर,
मेरा हिस्सा भी तू ले ले मेरे भाई घर के आँगन में दीवार ना कर।
हम अपने खून से लिखे कहानी ए वतन मेरे,
करें कुर्बान हंसकर यह जवानी है ए वतन मेरे।
कुर्बान हुए जो उनकी कुर्बानी याद करो,
उनको सब मिलकर धन्यवाद करो।
पुरे देश के नैनो में अश्को का घर कर गए
प्यारी सहर को लहूलुहान दोपहर कर गए
वतन सबसे पहले जिनके दिल में आता है
उल्फत का किस्सा वो अपना अमर कर गए।
कुछ हाथ से मेरे निकल गया,
वो पलक झपक के छिप गया।
फिर लाश बिछ गयी लाखों की,
सब पलक झपक के बदल गया।
ताकत वतन की हमसे है हिम्मत वतन की हमसे है,
इज्जत बादल की हमसे है इंसान के हम रखवाले।
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पुलवामा के वीरों ने जो जान देश पर वारी है,
दुश्मन की औकात नहीं यह अपनों की गद्दारी है।
शहादत के किस्से इंकलाब की कहानी
पन्नो में सिमट कर ना रह जाए वीर जवानों की कुर्बानी।
जब रिश्ते राख में बदल गए इंसानियत का दिल दहल गया,
मैं पूछ पूछ के हार गया क्यूँ मेरा भारत बदल गया।
अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुक सकते नहीं।
दरिंदों ने 14 फरवरी को दर्द भरा इतिहास बना दिया,
चहचहाते परिवारों को मिनट भर में राख बना दिया।
फ़ौजी की मौत पर परिवार को दुःख कम और गर्व ज्यादा होता हैं,
ऐसे सपूतों को जन्म देकर माँ का कोख भी धन्य हो जाता हैं।
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है,
कि चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है।
मैं अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा रहने दो,
लाल और हरे में मत बांटो मेरी छत पर तिरंगा रहने दो।
आन देश की शान देश की देश की हम संतान है,
तीन रंगों से रंगा तिरंगा अपनी यह पहचान है।
जिद पर आ जाए तो रुख मोड़ दे तूफानों का,
अभी तेवर ही कहां देखा है अपने फौजी भाइयों का।
यदि हाल मेरी बहना पूछे तो उसे सूनी कलाई दिखा देना,
इतने पर भी न समझे तो, राखी तोड़ दिखा देना।
ज़माने भर में मिलते हैं आशिक कई मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
नोटों में लिपट कर मरे हैं कई सोने में सिमटकर मरे हैं कई,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता।
वतन के लिए जो फना हो गए हैं तिरंगा उन्हीं की सुनाता कहानी,
किया दिल से हर फैसला जिंदगी का कोई बात समझी ना बूझी ना जानी।
यही सोच कर उदास मन है आज मेरा,
सरहद पर मेरी नींद के लिए खून बहा है तेरा।
लड़े जंग वीरों की तरह जब खून खौल फौलाद हुआ,
मरते दम तक डटे रहे वो तभी ये देश आजाद हुआ।
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा,
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा।
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए,
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये।
वतन के लिए जो फना हो गए हैं तिरंगा उन्हीं की सुनाता कहानी,
किया दिल से हर फैसला जिंदगी का कोई बात समझी ना बूझी ना जानी।
ब्लैक डे पर भी तेरी यादें रौंगत दे गई,
रात की चादर में भी तेरी ख्वाबें बिखेर गई।
तैरना है तो समुंदर में तहरो नदी नालों में क्या रखा है,
प्यार करना है तो वतन से करो इन बेवफा लोगों में क्या रखा है।
हम अपने खून से लिक्खें कहानी ऐ वतन मेरे,
करें कुर्बान हँस कर ये जवानी ऐ वतन मेरे।
दिली ख्वाहिश नहीं कोई मगर ये इल्तिजा बस है,
हमारे हौसले पा जायें मानी ऐ वतन मेरे।
सीने में जूनून आंखों में देशभक्ति की चमक रखता हूं,
दुश्मन की सांस थम जाए आवाज में इतना दम रखता हूं।
अब तक रौशनी सी थी हर पल की दुनिया,
ब्लैक डे ने उसे अंधेरों में लपेट लिया।
जो अब तक ना खौला वह खून नहीं पानी है,
जो देश के काम ना आए वह बेकार जवानी है।
शहीदों को न तन चाहिए, ना धन चाहिए,
बस अमन से भरा यह वतन चाहिए।
जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृभूमि के लिए,
और जब मरू तो तिरंगा कफ़न चाहिये।
कुछ नशा तिरंगे की आन का है,
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है।
हम लहराएंगे हर जगह यह तिरंगा,
नशा यह हिंदुस्तान की शान का है।
दर्द की कहानी बयां करती है ब्लैक डे की रातें,
खो गई थी सबकुछ, वक्त ने बदल दी है मिजाजातें।
ये सर हर बार झुका है हर बार झुकेगा उनकी शहादत में,
जो शहीद हुए हैं मेरे वतन की हिफाजत में।
ये नफरत बुरी है न पालो इसे,
दिलो में खलिश है निकालो इसे।
न तेरा, न मेरा, न इसका, न उसका,
यह सब का वतन है, बचा लो इसे।
मैं भारतवर्ष का हरदम अमिट सम्मान करता हूँ,
यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ।
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ।
ब्लैक डे की गहराइयों में छिपे हैं अनगिनत ख्वाब,
यादों के सहरे हम फिर से बिताएंगे वो पल ख़ुद।
फरिश्ते सिर्फ आसमान में नहीं रहते हैं,
जमीन ए हिन्द पर उन्हें जवान रहते हैं।
न मरो सनम बेवफा के लिए,
दो गज जमीन नहीं मिलेगी दफ़न के लिए।
मरना है तो मरो अपने वतन के लिए,
हसीना भी दुप्पटा उतार देगी कफ़न के लिए।
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा।
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे मेरा कि,
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा।
एक्स तक सिमटी थी यादें वो काले दिन में,
14 फरवरी की तरह रंगीन हो गई तारीखें।
प्यार की बातों ने जला दिया था आसमान,
14 फरवरी को हुआ काला, छोड़ गए तन्हाई के जहान।
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 101+ Black Day Shayari बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी हैं और यकीनन आपको काफी ज्यादा पसंद भी आई होंगी आशा करते हैं दोस्तों आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया होगा दोस्तों अगर आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में जरुर शेयर करें ताकि वह भी हमारे आज के इस आर्टिकल को पढ़ सकें और वह भी ब्लैक डे शायरी को पढ़ सकें।