110+ कार्यक्रम की शुरुआत के लिए शायरी | Anchoring Shayari in Hindi (2024)
आज के इस लेख में हमने आपको 110+ कार्यक्रम की शुरुआत के लिए शायरी बताई हैं। दोस्तों जैसा कि आप जानते ही है कि जब भी प्रोग्राम होता ही तो हम चाहते हैं कि प्रोग्राम की शुरुआत अच्छी तरह से हो जिस से कि पूरा प्रोग्राम भी अच्छा बना रहे। तो दोस्तों अगर आप भी गूगल पर Karyakram Ki Shuruaat Ke Liye Shayari को ढूँढ रहे हैं लेकिन आपको शायरी नहीं मिल पा रही हैं।
तो अब आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज आप बिलकुल सही आर्टिकल पर पहुचे हैं जिसमें हमने आपको 110 से भी ज्यादा Karyakram Ki Shuruaat Ke Liye Shayari बताई हैं जो कि बहुत ही बेहतरीन शायरी हैं और यकीनन आपको काफी ज्यादा पसंद भी आने वाली हैं। तो आएये दोस्तों बिना किसी देरी के जानते हैं कि 110 से भी ज्यादा कार्यक्रम की शुरुआत के लिए शायरी कौन सी हैं।
बिन बूंदो के बारिश का एहसास कैसे होगा,
जूनून हो दिल में जिसके वो हताश कैसे होगा।
कार्यक्रम के इस रंग का मिज़ाज़ कैसा है,
बिन ताली के हमें यह एहसास कैसे होगा।
आपके आने से महफिल में रौनक आ गयी,
आपके आने से चारों ओर खुशियाँ छा गयी।
आप हमारे लिए प्रेरणा हो आप की प्रेरणा जीना सिखा गयी,
आपके विचारों से मानों डुबती नाँव किनारा पा गयी।
करेंसी के लिए पावंड का,
क्रिकेट के लिए ग्राउंड का।
और कार्यक्रम के लिए तालियों के साउंड का,
होना बहुत जरुरी है।
फ्रेशर्स के चेहरे की जो मुस्कान है,
वही तो हमारे महफ़िल की शान है।
पंख ही काफ़ी नहीं हैं आसमानों के लिए,
हौसला भी चाहिए ऊंची उड़ानो के लिए।
हँसी ठिठोली से जब गूँजता हैं प्रांगन,
तभी तो खिलता हैं शादी का आँगन।
शाम सूरज को ढलना सिखाती है,
शमा परवाने को जलना सिखाती हैं।
गिरने वालो को होती है तकलीफ,
पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती।
हमारी महफ़िल में लोग बिन बुलायें आते हैं,
क्योकि यहाँ स्वागत में फूल नहीं पलकें बिछाये जाते हैं।
हर एक कपडे का टुकड़ा माँ का आँचल हो नहीं सकता,
जिसे दुनिया को पाना हो वो पागल हो नहीं सकता।
दर्शकों को तालियां जब तक कार्यक्रम में न शामिल हो,
किसी कार्यक्रम का किस्सा पूरा हो नहीं सकता।
इश्क की राहों में हम मिलेंगे ज़रूर,
दिल के आइने में तुम्हें छू लेंगे हम।
गिर गिर के यारों मुझको खूब संभलना आता है,
जलकर बुझना आता है बुझ कर जलना आता है।
अपने ही किस्मत लिखता हूं खुद अपने ही हाथों,
मुझको सारी महफिल का अंदाज बदलना आता है।
चाहत के आगे हमेशा हार जाएँगे,
तुम्हारी मोहब्बत में खुद को खो जाएँगे।
ना संघर्ष, ना तकलीफें क्या है मजा फिर जीने में,
तूफान भी थम जाएगा जब लक्ष्य रहेगा सीने में।
कानो में खनकती है खूबसूरत बालियाँ,
मजा तब आता है जब बजती है महफ़िल में तालियां।
स्वागत करते हैं हम आपको आँचल में ले कर।
अपनी शान से उठाएँगे हर रंग का जहाज।
भावों के संग भरेंगे इस मंच को हम आपके साथ।
स्वागतम् करते हैं, हम आपको हर पल के साथ।
न पैसा लगता है न खर्चा लगता है,
प्लीज् स्माइल कीजिये बड़ा अच्छा लगता है।
अँकरिंग की शान में, हँसी को बिछाएं,
जब आप खड़े हों, सबको हंसी दिलाएं।
दिलों को जीतने, हसरत साथ लाएं,
मजेदार अवसर पर, दिल को बहलाएं।
रहेगी कोशिश इस शाम का रंग न होने दूं भंग,
जब रहेगी जुगलबंदी हमारी और आपका संग।
चेहरे पर हंसी और दिल में खुशी होती है,
सही मायनों में यही जिंदगी होती है।
और हंसना किसी इबादत से कम नहीं,
किसी और को हंसा दो तो बंदगी होती है।
प्रभु कृपा से जीवन में आनंद की बहार है,
हृदय में चारों पहर, गिरधर की जय जयकार है।
बिन बूंदो के बारिश का एहसास कैसे होगा,
जूनून हो दिल में जिसके वो हताश कैसे होगा।
कार्यक्रम के इस रंग का मिज़ाज़ कैसा है,
बिन ताली के हमें यह एहसास कैसे होगा।
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है,
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं।
ये कौन आया, रोशन हो गयी महफिल किसके नाम से,
मेरे घर में जैसे सूरज निकला है शाम से।
हार को जीत की इक दुआ मिल गई,
तप्त मौसम में ठंडी हवा मिल गई।
आप आये श्रीमान जी यूँ लगा जैसे,
तकलीफों को कुछ दवा मिल गई।
शब्दों का वजन तो हमारे बोलने के भाव से पता चलता है,
वैसे तो दीवारों पर भी वेलकम लिखा होता हैं।
आज का अवसर बड़ा निराला है,
आज यंहा नूर बरसने वाला है।
एकबार जोरदार तालिया बजा दे,
कार्यक्रम अभी शुरू होने वाला है।
सुनता हूँ मैं कि आज वो तशरीफ़ लाएँगे
अल्लाह सच करे कहीं झूटी ख़बर न हो।
कानो में खनकती है खूबसूरत बालिया,
मजा तब आता है जब महफ़िल में बजती है ज़ोरदार तालियां।
नृत्य के कला को जिसने समझा उसके लिए वरदान है,
जो इसे सिर्फ ‘नाच’ समझा वो इंसान बड़ा ही नादान है।
कौन पहुंचा है कभी अपनी आखरी मंजिल तक,
हर किसी के लिए थोडा आसमान बाकि है।
ये तुझको लगता है तू उड़ने के काबिल नहीं,
सच तो ये है की तेरे पंखों में अभी भी उडान बाक़ी है।
अपनी राहों में हम भटक जाएँगे,
पर तेरे साथ हमेशा जुड़े रहेंगे।
दिलों में विश्वास पैदा करता है,
मन में कुछ आस पैदा करता है।
मिटटी की तो कुछ बात ही अलग है,
ईश्वर तो पत्थरों में भी घास पैदा करता है।
चलो ये रात ख़त्म करते हैं,
आज दिल की आवाज़ सुनते हैं।
मुद्दत से आता हर दिन ज़िन्दगी में नई उम्मीद जागे,
आज का दिन बख्शे खुशियां आपको नेक कामों से सबके नसीब जागे।
सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी,
तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी।
जैसा मूड हो वैसा मंजर होता है,
मौसम तो हर इंसान के अंदर होता है।
चावल में दूध डालो तो उसे खीर कहते है,
आपके लोग के जैसा चाहने वाले हो तो तक़दीर कहते हैं।
जबरदस्ती हँसाएं, बजाएं ताली,
खुद भी हँसे, और ले सबको भाली।
आपकी शान, हमारी पहचान,
हंसी के इस त्यौहार में, बनें सभी आनंदी।
बड़े दिनों बाद ये मौका आया है,
इस प्रांगण में उत्सव छाया है।
आपके आगमन से सजा हैं मंच, ख़ुशियों से भरी आवाज़,
स्वागत करते हैं हम आपका, रहे सदा यह अहसास।
मंच संचालन नहीं आसान बस इतना समझ लीजिए,
स्क्रिप्ट का दरिया है और बोलते चले जाना है।
कुछ परिंदे उड़ रहे है आँधियों के सामने,
उनमें ताकत ना सही पर होसला होगा ज़रूर।
इसी तरह तक आगे बढ़ते रहे तो देखना,
तय समंदर तक एक दिन फासला होगा ज़रूर।
तुम आ गए हो ख़ुदा का सुबूत है ये भी,
क़सम ख़ुदा की अभी मैं ने तुम को सोचा था।
शब्दों के जादू से भरेंगे, आपकी आँखों में तारे,
हर रिश्ते को जोड़ देगा, आपका संग यह मंच हमारे।
ये नन्हे फुल तब महकते हैं जब खुदा की नीली छत्रियां तनती हैं,
इन नन्हे मुन्हे फरिश्तो क लिए जोरदार तालियाँ तो बनती हैं।
स्वीकार आमंत्रण किया, रखा हमारा मान,
कैसे करे कृतज्ञता, स्वागत है श्री मान।
मंजिले उन्हें मिलती है जिनके सपनो में जान होती है,
सिर्फ पंख होने से कुछ नहीं होता दोस्त हौसलों से उड़ान होती है।
बंधन में है दिल एक बहाली तो बनती है,
नीरस से माहौल है एक खुशहाली तो बनती है।
यह रंग जो बिखरे है पर्दें पर गर समेटने है तो,
जनाब आपकी एक ताली तो बनती है।
चन्दन सी आदर कुमकुम सी आस्था,
पुष्पों सा प्रेम और शब्दो का समर्थन लेकर।
सर्वप्रथम माँ सरस्वती को नमन करता हूँ,
और आप सभी को प्रणाम करता हूँ।
तुमको मिल सकता है मुझसे बेहतर तो
हमको मिल सकता है तुमसे बेहतर
लेकिन तुम और हम ग़र मिल जाएं तो
कुछ और नहीं हो सकता इससे बेहतर।
मत सोच ये मेरे दोस्त की तेरा सपना कभी सच नहीं होता,
हिम्मत वाले इंसान का इरादा कभी अधूरा नहीं होता।
जिस इंसान का कर्म अच्छा होता है,
उसके जीवन मैं कभी भी अँधेरा नहीं होता।
खुशियो पर मौज की रवानी रहेगी,
जिंदगी में कोई न कोई कहानी रहेगी।
हम यू कार्यक्रम में चार चाँद लगाते रहेंगे,
अगर आपकी तालियों की मेहरबानी रहेगी।
अपनी एक ज़मी, अपना एक आकाश पैदा कर,
तू अपने लिए एक नया इतिहास पैदा कर।
मांगने से कब मिली है ख़ुशी मेरे दोस्त,
तू अपने हर कदम पर विश्वास पैदा कर।
हर सपने को हक़ीक़त में बदलना होगा,
दर्द को दर्द से भी प्यार करना होगा।
चेहरे पर हंसी और दिल में खुशी होती है,
सही मायनों में यही जिंदगी होती है।
और हंसना किसी इबादत से कम नहीं,
किसी और को हंसा दो तो बंदगी होती है।
पंख ही काफ़ी नहीं हैं आसमानों के लिए,
हौसला भी चाहिए ऊंची उड़ानो के लिए।
आपके हँसने से, दिल को हो ज़ोर,
मुस्कराहटें बनाएं, मज़ाकिया तोर।
जबरदस्ती भी करें, तो भी न खोर,
हंसी की बेला है, यही है हमारी मोर।
अपनी कद्रदानी को इस तरह ना छिपाइए,
अगर प्रस्तुति पसंद आई हो तो ताली बजाइए।
हर स्वागत का अर्थ बयाँ करेंगे शेरों के जज़्बात।
जीवन के मेल-जोल को देंगे रंग नये सँवारत।
आपके इस आगमन से बढ़ जायेगा ये मंच का सौभाग्य।
स्वागतम् करते हैं, आपको इस मंच की दुनिया में।
अपनी एक ज़मी, अपना एक आकाश पैदा कर,
तू अपने लिए एक नया इतिहास पैदा कर…
मांगने से कब मिली है ख़ुशी मेरे दोस्त,
तू अपने हर कदम पर विश्वास पैदा कर।
अपनी कद्रदानी को इस तरह ना छिपाइए,
अगर प्रस्तुति पसंद आई हो तो तालियाँ बजाइये।
दोस्तो, इस जश्न का आगाज़ करते हैं,
ऊपर वाले को कर सलाम मेहमानों का इस्तिकबाल करते हैं।
थोड़ा अर्ज़ हम फरमाएं,
थोड़ी उनसे बोलचाल करते हैं।
पूजा हो मंदिर में तो थाली भी चाहिए,
गुलशन है गुल का तो माली भी चाहिए है।
दिल है दिलवाला तो दिलवाली भी चाहिए,
कार्यक्रम है हमारा तो आपकी ताली भी चाहिए।
कौन पहुंचा है कभी अपनी आखरी मंजिल तक,
हर किसी के लिए थोडा आसमान बाकि है…
ये तुझको लगता है तू उड़ने के काबिल नहीं,
सच तो ये है की तेरे पंखों में अभी भी उडान बाकि है।
शुक्रिया तेरा तेरे आने से रौनक़ तो बढ़ी,
वरना ये महफ़िल-ए-जज़्बात अधूरी रहती।
तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें हों,
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है।
आज आया वह मंगलदिन, मिटें अंधेरे किरणों से खिले सवेरे,
दिल के अच्छे मन के सच्चे, हमारे यहाँ मेहमान पधारें।
अगर चलना हो साथ, तो अपना हाथ बढ़ा दीजिये,
हो अगर मन में प्रेम तो फिर मुस्कुरा दीजिये,
है आज हमारा, क्या पता कल हो ना हो,
कोई गीत हो मन में तो फिर गुनगुना दीजिये।
जैसे अनगिनत तारों के साथ चांदनी हैं सजती,
कई परिवारों के साथ महफिले हैं बनती।
बिना प्रकाश के कोई उजाला हो नहीं सकता,
बिना दिल के कोई दिलवाला हो नहीं सकता।
जो न बजाए मेरे कलाकारों के लिए ताली,
वो कार्यक्रम का दीवाना हो नहीं सकता।
क़दम क़दम पे बिछे हैं गुलाब पलकों,
के चले भी आओ कि हम इंतिज़ार करते हैं।
मत सोच ये मेरे दोस्त की तेरा सपना कभी सच नहीं होगा,
हिम्मत वाले इंसान का इरादा कभी अधूरा नहीं होता
जिस इंसान का कर्म अच्छा होता है
उसके जीवन मैं कभी भी अँधेरा नहीं होता।
जब तुम्हारी आँखों में चमक दिखाई दे,
तब हमें सच्ची ख़ुशी मिल जाती है।
अगर चलना हो साथ, तो अपना हाथ बढ़ा दीजिये,
हो अगर मन में प्रेम तो फिर मुस्कुरा दीजिये।
है आज हमारा, क्या पता कल हो ना हो,
कोई गीत हो मन में तो फिर गुनगुना दीजिये।
ज़िंदगी का सफ़र कभी ना रुकता है,
हर दिन नए रंगों से रंगता है।
यकीन नहीं अगर तुझे तो आज़मा के देख ले
एक बार तू जरा मुस्कुरा के देख ले,
जो ना सोचा होगा तूने वो भी मिलेगा तुझको
बस एक बार अपना कदम आगे बढ़ा के तो देख ले।
चुपचाप बैठ के नहीं थोड़ा सोर से होना चाहिए,
तालियों सीटियों का होना थोड़ा जोर से होना चाहिए।
आओ आज मुश्किलों को हराते हैं,
चलो आज दिन भर मुस्कुराते हैं।
अर्ज किया है की बाहर जाने से पहले खिंजा आ गयी,
और फूल खिलने से पहले बकरी खा गई।
चुराकर दिल मेरा वो बेखबर से बैठे हैं,
मिलाते नहीं नजर हमसे अब शरमाये बैठे हैं,
देख कर हमको छुपा लेते हैं चेहरा आँचल में,
अब घबरा रहे हैं कि वो क्या कर बैठे हैं।
मंच की ज़िम्मेदारी के लिए आभार,
इससे पहले करूं कुछ पेश सुनना चाहूंगा तालियों की एक झंकार।
मज़ेदार शब्दों में, छुपा है सवेरा,
बिताएं रातें, खुलें हमारे होशियार।
अँकरिंग का मिजाज, हंसी से भरा,
बिताएं एक साथ, ख़ूबसूरत पल हमारा।
चलो शुरू करें हम प्रस्तुतियां सारी,
देखें पहले आती है अब किसकी बारी।
दिलों में विश्वास पैदा करता है,
मन में कुछ आस पैदा करता है,
मिटटी की तो कुछ बात ही अलग है,
ईश्वर तो पत्थरों में भी घास पैदा करता है।
उस ने वादा किया है आने का,
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का।
ठीक नहीं कहना मेरा सबसे यह हर बार,
करतल ध्वनि हो जाये तो हो जाये उपकार।
बिना कहे बजती रहें हर प्रस्तुति कि बाद,
तड़-तड़ वाली तालियाँ तब है कोई बात।
रौनक़-ए-बज़्म नहीं था कोई तुझ से पहले,
रौनक़-ए-बज़्म तेरे बाद नहीं है कोई।
ना संघर्ष, ना तकलीफें…क्या है मजा फिर जीने में।
तूफान भी थम जाएगा, जब लक्ष्य रहेगा सीने में।।
किसी ने रोजा रखा तो किसी ने उपवास रखा,
दुआ उसी कबूल होती है जिन्होने अपने माँ बाप को अपने पास रखा।
जो दिल का हो ख़ूबसूरत, ख़ुदा ने ऐसे लोग कम बनाये हैं,
जिन्हें ऐसा बनाया है खुदा ने, आज बो हमारी महफ़िल में आये हैं।
कल हो तो आज जैसा,
महल हो तो ताज जैसा।
फूल हो तो गुलाब जैसा,
कद्रदान हो तो आप जैसा।
बिन बूंदो के बारिश का एहसास कैसे होगा,
जूनून हो दिल में जिसके वो हताश कैसे होगा,
कार्यक्रम के इस रंग का मिज़ाज़ कैसा है,
बिन ताली के हमें यह एहसास कैसे होगा।
मंजिल उनिको मिलती ही जिनके सपनो मैँ जान होती है,
पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।
दिन निकला हर दिन जैसा पर आज का दिन कुछ ख़ास हो,
अपने लिए तो जीते हैं रोज आज सबके भले की अरदास हो।
यकीन नहीं अगर तुझे तो आज़मा के देख ले,
एक बार तू जरा मुस्कुरा के देख ले।
जो ना सोचा होगा तूने वो भी मिलेगा तुझको,
बस एक बार अपना कदम आगे बढ़ा के तो देख ले।
तौड़ के हर एक पिंजरा उड़ चलो आसमा की और,
चाहे लाख लगा ले कोई बंदिशें, तौड़ दो हर एक छोर
करना है हर सपने को पूरा बस थान लो एक बार,
हर मुश्किल हल होगी जब इरादा होगा तुम्हारा कठोर।
तोड़ के हर एक पिंजरा उड़ चलो आसमा की और,
चाहे लाख लगा ले कोई बंदिशें, तौड़ दो हर एक छोर।
करना है हर सपने को पूरा बस थान लो एक बार,
हर मुश्किल हल होगी जब इरादा होगा तुम्हारा कठोर।
जब तक रौशनी रहेगी आँधियों की,
चाँदनी सदा तुम्हारी बाहों में होगी।
पूजा हो मंदिर में तो थाली भी चाहिए,
गुलशन है गुल का तो माली भी चाहिए है।
दिल है दिलवाला तो दिलवाली भी चाहिए,
कार्यक्रम है हमारा तो आपकी ताली भी चाहिए।
शब्दों का वजन तो हमारे बोलने के भाव से पता चलता हैं,
वैसे तो दीवारों पर भी वेलकम लिखा होता हैं।
खुद को ढूंढें, मज़ा में हम छिपे,
जलवा बिखेरें, हर नज़र में चिपे।
चुलबुले अंदाज़ में, हँसी को खिलाएं,
अँकरिंग के रंग में, सभी को ले आएं।
कामयाब होने के लिए मेहनत पर यकीन करना होगा,
किस्मत तो जुए में आजमाई जाती है।
मंच पर आपकी धूम रहे, रंगीन शाम हो यहाँ।
शब्दों से सजाएँगे हर अवसर को हम यहाँ।
स्वागत के सौगात हैं आप, ख़ुशियों से भरा जहाँ।
आपको मिले सफलता का मंच, यही हैं हमारी आरज़ू का अरमाँ।
कुछ परिंदे उड़ रहे हैं आँधियों के सामने,
उनमें ताकत ना सही पर होसला होगा ज़रूर।
इसी तरह तक आगे बढ़ते रहे तो देखना,
तय समंदर तक एक दिन फासला होगा ज़रूर।
ना संघर्ष ना तकलीफें क्या है मजा फिर जीने में।
तूफान भी थम जाएगा जब लक्ष्य रहेगा सीने में।
इस माटी की लाज की खातिर कर्तव्यपथ पर बढ़ते जाएंगे,
विषमताएं हो राहों में कितनी उनसे दो दो हाथ हम करते जाएंगे।
ग़र ख़ुद के साथ ज़ीना आ जाये,
टूटे हुओं के ज़ख्मो को सीना आ जाये।
हर पल बरसती है नियामतें कायनात की,
बस हर दिन की मुबारक देना आ जाए।
आओ आज मुश्किलों को हराते हैं
चलो आज दिन भर मुस्कुराते हैं।
अजीज के इन्तजार में ही पलके बिछाते हैं,
महफ़िलो की रौनक खास लोग ही बढ़ाते हैं।
तुम जो आए हो तो शक्ल-ए-दर-ओ-दीवार है,
और कितनी रंगीन मेरी शाम हुई जाती है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में हमने आपको 110+ कार्यक्रम की शुरुआत के लिए शायरी बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी हैं और यकीनन आपको काफी ज्यादा पसंद भी आई होंगी। आशा करते हैं दोस्तों आपको हमारा आज का यह लेख पसंद आया होगा दोस्तों अगर आपको हमारा आज का यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना बिलकुल भी ना भूले।