Best 101+ दर्द औरतों पर शायरी | Sad Shayari On Women (2024)
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 101+ दर्द औरतों पर शायरी (Dard Aurton Par Shayari) बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी है और यकीनन आपको काफी ज्यादा पसंद भी आने वाली है। दोस्तों जैसा कि आप जानते ही हैं आज हमारे विश्व में औरतों को कुछ जगहों पर इज्जत नहीं दी जाती है जिस कारण हमारे देश की औरतों को बहुत ही ज्यादा दुख होता है और वह किसी भी व्यक्ति से अपना दर्द बांट भी नहीं सकती है।
तो दोस्तों अगर आप भी औरतों के दुखों पर शायरी को पढ़ना चाहते हैं लेकिन आपको शायरी नहीं मिल पा रही हैं और आप काफी समय से गूगल पर शायरी को ढूंढ रहे हैं तो अब आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज आप बिल्कुल सही आर्टिकल पर पहुंचे हैं जिसमें हमने आपको 101 से भी ज्यादा ऐसी शायरी बताई है जो औरतों के दुख को बयां करती हैं तो आएये दोस्तों जानते हैं 101 से भी ज्यादा दर्द औरतों पर शायरी (Dard Aurton Par Shayari) कौन सी है।
110+ लड़कियों को जलाने वाली शायरी
अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है,
दूसरी औरत पहली जैसी कब होती है।
कौन बदन से आगे देखे औरत को,
सब की आंखें गिरवी हैं इस नगरी में।
खुदा की शायरी होती है औरत,
जिसे पैरों तले रौंदा गया है।
एक के घर की खिदमत की,
और एक के दिल से मोहब्बत की।
दोनों फर्ज निभा कर उसने,
सारी उम्र इबादत की।
औरत हूं मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूं,
एक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूं।
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता,
वो देखो एक औरत आ रही है।
किताब, फ़िल्म, सफ़र इश्क़, शायरी, औरत,
कहाँ कहाँ न गया ख़ुद को ढूँढता हुआ मैं।
औरत कभी खिलौना नहीं होती,
वो तो परमात्मा के बाद वो पूजनीय व्यक्ति है।
जो मौत की गोद में जाकर,
जिन्दगी को जन्म देती है।
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम है,
औरत अपना आप गवाए तब भी मुजरिम है।
दौलत, शुहरत, बीवी, बच्चे, अच्छा घर और अच्छे दोस्त,
कुछ तो है जो उनके बाद भी हासिल करना बाक़ी है।
दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को न बेचा जाएगा,
चाहत को न कुचला जाएगा ग़ैरत को न बेचा जाएगा।
अच्छी-ख़ासी रुस्वाई का सबब होती है,
दूसरी औरत पहली जैसी कब होती है।
ख़ुदा ने यह सिफ़त दुनिया की हर औरत को बख़्शी है,
कि वो पागल भी हो जाए तो बेटे याद रहते हैं।
एक के घर की खिदमत की,
और एक के दिल से मोहब्बत की।
दोनों फर्ज निभा कर उसने,
सारी उम्र इबादत की।
जो लोग ये समझ नहीं पाते कि औरत क्या चीज़ है,
उन्हें पहले ये समझने की जरूरत है कि औरत कोई चीज़ नहीं है।
इंसान को जीवन का असली रंग,
सिर्फ दर्द में ही समझ आता है।
तुमको मालूम नही दर्द की हकीकत,
वरना तू मेरे साथ भरे शहर में मातम करता।
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास,
रौनक़ें जितनी यहां हैं औरतों के दम से हैं।
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता,
वो देखो एक औरत आ रही है।
मुत्तकी हो गया ख़ौफ़-ए-बीवी से मैं,
अब इबादत का सौदा मेरे सर में है।
औरत कभी खिलौना नहीं होती,
वो तो परमात्मा के बाद वो पूजनीय व्यक्ति है।
जो मौत की गोद में जाकर,
जिन्दगी को जन्म देती है।
कुछ खोने का दर्द कुछ ना पा,
सकने के दर्द से कहीं ज्यादा होता है।
जहाँ दुआएं मिलती थी “अल्लाह जोड़ी सलामत रक्खे”
मैंने तेरे बाद उधर से गुज़रना छोड़ दिया है।
अपमान मत करना नारियो का इनके बल पर तो जग चलता है,
अरे मर्द भी जन्म लेकर इन्ही की तो गोद में पलता है।
फिर अजनबी फज़ाओं से जोड़ा गया मुझे,
मैं फूल थी सो शाख से तोड़ा गया मुझे।
मिट्टी के बर्तनों की तरह सारी जिन्दगी,
तोड़ा गया मुझे कभी जोड़ा गया मुझे।
मुस्कुरा कर जो हर गम छुपा ले,
हंसते-हंसते वह अपनी सारा दर्द भुला दे।
वो एक औरत ही है जो,
किसी दसरे के खतीर अपना सब कुछ लुटा दे।
हमारे ख़्वाब अजब कहकशां बनाते हैं,
ज़मीन को तारों भरा आसमां बनाते हैं.
मैं भूल जाती हूं उनकी कहानियां कितनी,
ज़रा सी बात को वो दास्तां बनाते हैं।
कौन बदन से आगे देखे औरत को,
सब की आंखें गिरवी हैं इस नगरी में।
आदमी के लिए है क्या औरत,
माँ बहन और प्रेमिका औरत।
खुदा की शायरी होती है औरत,
जिसे पैरों तले रौंदा गया है।
औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम है,
औरत अपना आप गवाए तब भी मुजरिम है।
आती नहीं थी वह मोहब्बत के झांसे में ,
फिर किसी ने उसे जीवन-साथी बनाने का फरेब दे दिया।
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया,
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया।
मैं उसे ज़िन्दगी सौंप कर उसके आंगन की बांदी रही,
मुझको दो रोटियां देके वो ये समझता है रब हो गया।
लड़किया डरती नहीं उन्हें डराया जाता है,
लोग क्या कहेंगे ये कहकर उन्हें पीछे करवाया जाता है।
हौसला बहुत है उनमें,
लेकिन गलत सोच की वजह से उन्हें हराया जाता है।
औरत हूं मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूं,
एक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूं।
इश्क़ इंसान में औरत को जगा देता है,
लोग हो जाते हैं शादाब समझ लो लड़की।
किताब, फ़िल्म, सफ़र इश्क़, शायरी, औरत,
कहाँ कहाँ न गया ख़ुद को ढूँढता हुआ मैं।
औरत तुम प्रेम हो,आस्था हो विश्वास हो,
टूटी हुई उम्मीदों की,एकमात्र आस हो,
हर जान का तुम्हीं तो आधार हो,
नफरत की दुनिया में,मात्र तुम्हीं प्यार हो।
वो आख़री फैसला सुनाकर रवाना हो गए
मैं देर तक चीखती रही सुनिए जनाब, सुनिए जनाब।
जिसने बस त्याग ही त्याग किए,
जो बस दूसरों के लिए जिए।
फिर क्यों उसको धिक्कार दो,
उसे जीने का अधिकार दो।
हमारे क़ातिल से कोई पूछे, भला हमारा कुसूर क्या है,
जो रहमे-मादर में मारते हो ख़ता हमारी हुजूर क्या है।
हर दर्द भुला मुस्कुराना जानती है,
उसके रहने से ही घर में शांति है।
वह औरत ही है,
जो झोपड़ी को भी महल के रूप में डालना जानती हैं।
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है।
मकान को भी घर बनाती है,
झोपड़ी को भी महल बनाती है।
परेशानियां चाहे कैसी भी हो,
अपनों के लिए हर दर्द को भी गले लगाती है।
औरतें काम पे निकली थीं बदन घर रख कर,
जिस्म ख़ाली जो नज़र आए तो मर्द आ बैठे।
उन को भी तेरे इश्क़ ने बे-पर्दा फिराया,
जो पर्दा-नशीं औरतें रुस्वा न हुईं थीं।
दौलत, शुहरत, बीवी, बच्चे, अच्छा घर और अच्छे दोस्त,
कुछ तो है जो उनके बाद भी हासिल करना बाक़ी है।
औरत के लिए कोई व्रत नहीं रखता,
फिर भी लंबी उम्र जी लेती है।
प्रेम करती है राधा की तरह,
और मीरा की तरह विष भी पी लेती है।
हम ने ख़्वाब में मौत देखी
रोने वालों में तुम नज़र नहीं आये।
हर दुःख दर्द सह कर वो मुस्कुराती है,
पत्थरों के दीवारों को औरत ही घर बनाती है।
लोग कहते हैं के ये इश्क का सौदा क्या है,
मेरी आंखों ने तेरी ज़ात में देखा क्या है।
अब किसी और से दिल मिलता नहीं क्यूं आख़िर,
कोई बतलाये के उस शख्स में ऐसा क्या है।
वह एक औरत ही होती है जिसका मन सुंदर होता है,
जिसकी गोद में सुकून मिलता है जन्नत सा महसूस होता है।
गुलनार देखती हैं ये मज़दूर औरतें,
मेहनत पे अपने पेट से मजबूर औरतें।
उसे हम पर तो देते हैं मगर उड़ने नहीं देते,
हमारी बेटी बुलबुल है मगर पिंजरे में रहती है।
दौलत, शुहरत, बीवी, बच्चे, अच्छा घर और अच्छे दोस्त,
कुछ तो है जो उनके बाद भी हासिल करना बाक़ी है।
कभी-कभी तो दिल करता है चलती रेल से कूद पड़ूॅं,
फिर कहता हूॅं…पागल अब तो थोड़ा रस्ता बाक़ी है।
छुट्टी तो आती है पर कोई आराम नहीं आता,
क्यों औरत के हिस्से में उसका इतवार नहीं आता।
बेटी-बहु कभी माँ बनकर सबके ही सुख-दुख को सहकर,
अपने सब फर्ज़ निभाती है तभी तो नारी कहलाती है।
शख्सीयत का जब फर्क़ था लफ़्ज भी मेरे बौने हुए,
मैं जो बोली वो बेकार था, वो जो बोला अदब हो गया।
जो सबके जीवन में रोशनी लाती,
उन्के जीवन में इतनी अंधकार क्यों रह जाती।
औरत को भी हमवार करने के लिए,
तुम कैसे कैसे जतन करते हो।
एक के घर की ख़िदमत की और एक के दिल से मोहब्बत की,
दोनों फ़र्ज़ निभा कर उस ने सारी उम्र इबादत की।
औरत मोहब्बत में जन्नत,
और नफरत में औकात दिखा सकती है।
मां के साथ ममता मिलती, बहन से मिलता हमेशा दुलार,
नारी शक्ति को पूजनीय समझो, ये लगाती जीवन की नैया पार।
डोर से रिश्तों की वो ऐसा बंधा रह जाएगा,
मैं बिछड़ जाऊंगी और वो देखता रह जाएगा।
हम चले जाएंगे रौनक कम नहीं होगी मगर,
ज़िन्दगी का हर तरफ मेला लगा रह जाएगा।
111+किसी को जलाने की एटीट्यूड शायरी
उसके रहने से घर में दिया जल्दी है,
अगर वह एक दिन भी कहीं जाए तो उसकी कमी खलती है।
इश्क़ इंसान में औरत को जगा देता है,
लोग हो जाते हैं शादाब समझ लो लड़की।
एक मुद्दत से मेंरी माँ नहीं सोई ‘ताबिश,
मैं ने एक बार कहा था मुझे डर लगता है।
आसान नहीं है औरत का किरदार निभा पाना,
एक सफ़ेद चादर है और दाग पानी से भी लग सकता है।
मुस्कुराकर, दर्द भुलाकर रिश्तों में बंद थी दुनिया सारी,
हर पग को रोशन करने वाली वो शक्ति है एक नारी।
इन चराग़ों की तरह आंखें मेरी बुझ जाएगी,
शब् गुज़र जाएगी दरवाज़ा खुला रह जाएगा।
कभी किसी की बेटी बनकर,
कभी किसी की बहू बनकर।
और ना जाने कितने रिश्ते को अपना कर,
उन्हें बखूबी निभाती है।
औरत के ख़ुदा दो हैं हक़ीक़ी ओ मजाज़ी,
पर उस के लिए कोई भी अच्छा नहीं होता।
मर्द हो तो तुम्हारी हस्ती का इतना तो खौफ हो,
बगल से निकले कोई औरत तो वो बैखोफ हो।
औरत मुफ्त में सो जाये तो मोहब्बत,
अगर पैसे लेकर सोये तो जिस्म फरोश।
लाख मेहनत करने पर भी न रहता कोई आभारी,
हर घर में रहती है ऐसी ही एक नारी।
मेरा हाथ थाम लो, बस इतना काफ़ी है,
फिर खुशी मिले या ग़म, ये मेरा नसीब है।
नारी तुम प्रेम हो, आस्था हो, विश्वास हो,
टूटी हुई उम्मीदों की एकमात्र आस हो।
सम्मान दिलाया जाएँ लड़कियों को पढ़ाया जाएँ,
उन्हें भी हुनर आसमान छूने का सिखाया जाएँ।
एक औरत ही होती है जिसे रिश्ते निभाने भी आते हैं,
और जरूरत पड़ने पर अपनों के लिए आवाज उठाने भी आते हैं।
औरत को भी हमवार करने के लिए,
तुम कैसे कैसे जतन करते हो।
नायाब होते हैं वो मर्द जो गुस्से में भी,
औरत से बात करने की तमीज नहीं भूलते।
जिस नारी को तुम अबला समझते हो,
वो कभी भी तुम्हारा तबला बजा सकती है।
नारी शक्ति के बिना हर नर है अधूरा,
अपने संघर्ष से करती हर काम वो पूरा।
क्यों कहती है दुनिया कि नारी कमजोर हैं,
आज भी नारी के हाथों में घर चलाने की डोर हैं।
तेरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन,
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था।
नारी के सम्मान के लिए किसी एक खास दिन की जरूरत नहीं,
पूरे साल का हर दिन बहुत खास होना चाहिए,
उनके प्रति मन में सम्मान होना चाहिए।
औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना,
उस शख़्स को दामाद भी वैसा ही मिला है।
औरत को जो समझता था मर्दों का खिलौना,
उस शख्स को दामाद भी वैसा ही मिला है।
कितना सुंदर, कितना कोमल, कितना निर्मल है,
कल-कल करती झरने जैसी, तो कभी गंगा जल है।
कभी मुस्कान तो कभी आंखों का,
पानी बनकर बहना आसान नहीं है।
एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला,
जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं।
क्यों कहती है दुनिया कि नारी कमजोर हैं,
आज भी नारी के हाथों में घर चलाने की डोर हैं।
बात चाहे किसी समाज की उन्नति की हो या घर की स्थिति की हो,
बात हमेशा औरतों से ही मापी जाती है।
औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ,
इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ।
अपमान मत करना नारियों का इनके बल पर जग चलता है,
मर्द जन्म लेकर तो इसी की गोद में पलता है।
ये भी क्या बात है भगवान ने स्त्री को फुरसत,
में बनाया और उसे ही फुरसत देना ही भूल गया।
एक घर की खिदमत की, और एक के दिल से मोहब्बत की,
दोनों फर्ज निभा कर उसने, सारी उम्र इबादत की।
घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं,
लड़कियां धान के पौधों की तरह होती हैं।
120+ किसी की याद में दर्द भरी शायरी
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 101+ दर्द औरतों पर शायरी (Dard Aurton Par Shayari) बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी हैं आशा करते हैं दोस्तों आपको हमारा आज का यह लेख पसंद आया होगा। दोस्तों अगर आप की कोई महिला दोस्त है या फिर और कोई है तो आप हमारे आज के इस आर्टिकल को उसके पास शेयर जरुर करें और आप अपने दोस्तों में भी हमारे इस आर्टिकल को शेयर कर सकते हैं।