Best 110+ पेज पर लिखी हुई शायरी | Page Par Likhi Hui Shayari (2024)
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 101+ पेज पर लिखी हुई शायरी बताई हैं जो कि काफी ज्यादा बेहतरीन शायरी हैं। दोस्तों अगर आप भी ऐसी शायरी को पढना चाहते हैं जो Page Par Likhi Hui Shayari होती हैं लेकिन आपको गूगल पर ऐसी शायरी नहीं मिल पा रही हैं तो अब आपको चिंता करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि आज आप बिलकुल सही आर्टिकल पर पहुचे हैं।
जिसमें हमने आपको 101 से भी ज्यादा ऐसी शायरी बताई हैं जो कि पेज पर लिखी हुई शायरी होती हैं और आप खुद भी अपने किसी भी पेज पर इन शायरी को लिख सकते हैं और लिखकर रख सकते हैं जिस से कि आप बाद में भी इन शायरी को पढ़ सकते हैं। दोस्तों शायरी काफी ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब होती हैं और शायरी को पढने से आपका मूड भी फ्रेश हो जाता है। तो आएये दोस्तों जानते हैं 101 से भी ज्यादा Page Par Likhi Hui Shayari कौन सी हैं?
क्या कहू तुमसे मैं कि क्या है इश्क,
जान का रोग है बला है इश्क।
अब करके फरामोश तो नाशाद करोगे,
पर हम जो न होंगे तो बहुत याद करोगे।
जि जिन को था ये इश्क का आजार मर गये,
अक्सर हमारे साथ के बीमार मर गये।
होगा किसी दीवार के साये में पड़ा मीर,
क्या काम मोहब्बत से उस आराम तलब को।
फ़क़त निगाह से होता है फैसला दिल का,
न हो निगाह में शोखी तो दिलवरी क्या है।
मोहब्बत की तमन्ना है तो फिर से बस्फ पैदा कर,
जहाँ से इश्क चलता है वहां नाम पैदा कर।
इधर हम से भी बात करते हैं लाख लगावत की,
उधार गैरों से भी कुछ बादे होते जाते हैं।
मार डालेगी मुझको ये खुश्ब्यानी आपकी,
मौत भी आएगी मुझको तो जवानी आपकी।
एक उम्र बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह।
अना कहती है इल्तेजा क्या करनी,
वो मोहब्बत ही क्या जो मिन्नतों से मिले।
मुकम्मल ना सही अधूरा ही रहने दो,
ये इश्क़ है कोई मक़सद तो नहीं है।
वजह नफरतों की तलाशी जाती है,
मोहब्बत तो बिन वजह ही हो जाती है।
गुफ्तगू बंद न हो बात से बात चले,
नजरों में रहो कैद दिल से दिल मिले।
है इश्क़ की मंज़िल में हाल कि जैसे,
लुट जाए कहीं राह में सामान किसी का।
चाहत हुई किसी से तो फिर बेइन्तेहाँ हुई,
चाहा तो चाहतों की हद से गुजर गए।
हमने खुदा से कुछ भी न माँगा मगर उसे,
माँगा तो सिसकियों की भी हद से गुजर गये।
कुछ ख़ास जानना है तो प्यार कर के देखो,
अपनी आँखों में किसी को उतार कर के देखो।
चोट उनको लगेगी आँसू तुम्हें आ जायेंगे,
ये एहसास जानना है तो दिल हार कर के देखो।
न जाहिर हुई तुमसे और न ही बयान हुई हमसे,
बस सुलझी हुई आँखो में उलझी रही मोहब्बत।
लोगों ने रोज ही नया कुछ माँगा खुदा से,
एक हम ही हैं जो तेरे ख्याल से आगे न गये।
राह में मिले थे हम, राहें नसीब बन गईं,
ना तू अपने घर गया, ना हम अपने घर गये।
तुम्हें नींद नहीं आती तो कोई और वजह होगी,
अब हर ऐब के लिए कसूरवार इश्क तो नहीं।
मुद्दतों जिसको तलाशा आज वो मेरे करीब है,
अपना प्यार पाना भी कहाँ सबको नसीब है।
अदा है ख्वाब है तकसीम है तमाशा है,
मेरी इन आँखों में एक शख्स बेतहाशा है।
ले दे के अपने पास फकत एक नजर तो है,
क्यूँ देखें जिंदगी को किसी की नजर से हम।
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
जिंदगी कहीं तो पंहुचा दे ख़त्म होने से पहले।
जिंदगी लोग जिसे मरहम-ए-गम जानते है,
जिस तरह हमने गुजारी है वो हम जानते हैं।
ये कशमकश है कैसे बसर जिंदगी करें,
पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें।
कुछ इस तरह फ़कीर ने जिंदगी की मिसाल दी,
मुठ्ठी में धूल ली और हवा में उछाल दी।
मेरे लफ्ज़ फ़ीके पड़ गए तेरी अदा के सामने,
मैं तुझे ख़ुदा कह गया अपने ख़ुदा के सामने।
राज़ खोल देते हैं नाजुक से इशारे अक्सर,
कितनी खामोश मोहब्बत की जुबान होती है।
कोई रिश्ता जो न होता तो वो खफा क्यों होता,
ये बेरुखी उसकी मोहब्बत का पता देती है।
मुझ में लगता है कि मुझ से ज्यादा है वो,
खुद से बढ़ कर मुझे रहती है जरुरत उसकी।
यही बहुत है कि तुमने पलट के देख लिया,
ये लुत्फ़ भी मेरी उम्मीद से कुछ ज्यादा है।
उसको हर चंद अंधेरों ने निगलना चाहा,
बुझ न पाया वो मोहब्बत का दिया है शायद।
लम्हों में क़ैद कर दे जो सदियों की चाहतें,
हसरत रही कि ऐसा कोई अपना तलबगार हो।
आँख रखते हो तो उस आँख की तहरीर पढ़ो,
मुँह से इकरार न करना तो है आदत उसकी।
संभाले नहीं संभलता है दिल मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ अब ज़माने का बहाना न बना।
ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे,
तू बहुत देर से मिला है मुझे।
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल,
हार जाने का हौसला है मुझे।
ये कशमकश है कैसे बसर जिंदगी करें,
पैरों को काट फेंके या चादर बड़ी करें।
एक उम्र गुस्ताखियों के लिए भी नसीब हो,
ये जिंदगी तो बस अदब में ही गुजर गयी।
जो तेरी चाह में गुजरी वही जिंदगी थी बस,
उसके बाद तो बस जिंदगी ने गुजारा है मुझे।
अकेले ही गुजर जाती है तनहा जिंदगी,
लोग तसल्लियां तो देते हैं साथ नहीं देते।
ये लकीरें ये नसीब ये किस्मत सब फ़रेब के आईनें हैं,
हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं।
हसरतें मचल गई जब, तुमको सोचा एक पल के लिए,
सोचो तब क्या होगा जब, मिलोगे मुझे उम्र भर के लिए।
मोहब्बत नाम है जिसका वो ऐसी क़ैद है यारों,
कि उम्रें बीत जाती हैं सजा पूरी नहीं होती।
वो रख ले कहीं अपने पास हमें कैद करके,
काश कि हमसे कोई ऐसा गुनाह हो जाये।
टपकती है निगाहों से बरसती है अदाओं से,
मोहब्बत कौन कहता है कि पहचानी नहीं जाती।
अपनी मोहब्बत पे फक़त इतना भरोसा है मुझे,
मेरी वफायें तुझे किसी और का होने न देंगी।
कभी ये दुआ कि उसे मिलें जहाँ की खुशियाँ,
कभी ये खौफ कि वो खुश मेरे बगैर तो नहीं।
दवा न काम आयी, काम आयी न दुआ कोई,
मरीजे-इश्क थे आखिर हकीमों से शिकायत क्या।
रूबरू मिलने का मौका मिलता नहीं है रोज,
इसलिए लफ्ज़ों से तुमको छू लिया मैंने।
जन्नत-ए-इश्क में हर बात अजीब होती है,
किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है।
अगर इश्क करो तो आदाब-ए-वफ़ा भी सीखो,
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती।
खामोश लबों से निभाना था हमको ये रिश्ता,
पर धड़कनों ने चाहत का शोर मचा दिया।
तेरी आँखों में जब से मैंने अपना अक्स देखा है,
मेरे चेहरे को कोई आईना अच्छा नहीं लगता।
रोज साहिल से समंदर का नजारा न करो,
अपनी सूरत को शबो-रोज निहारा न करो।
आओ देखो मेरी नजरों में उतर कर खुद को,
आइना हूँ मैं तेरा मुझसे किनारा न करो।
कब तक वो मेरा होने से इंकार करेगा,
खुद टूट कर वो एक दिन मुझसे प्यार करेगा।
प्यार की आग में उसको इतना जला देंगे,
कि इजहार वो मुझसे सरे-बाजार करेगा।
यकीन अपनी चाहत का इतना है मुझे,
मेरी आँखों में देखोगे और लौट आओगे।
मेरी यादों के समंदर में जो डूब गए तुम,
कहीं जाना भी चाहोगे तो जा नहीं पाओगे।
इस लफ़्ज़े-मोहब्बत का इतना सा फसाना है,
सिमटे तो दिले-आशिक़ फैले तो ज़माना है।
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजिए,
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है।
इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका,
आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं।
दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती,
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती।
दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूँजी,
किस की खुशबू ये मुझे मेरे सिरहाने आई।
गलतफहमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मोहब्बत में,
जहाँ किरदार हल्का हो कहानी डूब जाती है।
तुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरी,
बताओ यार इश्क करते हो या इलाज करते हो।
ना तो पूरे मिल रहे हो ना ही खो रहे हो तुम,
दिन-ब-दिन और भी दिलचस्प हो रहे हो तुम।
किसी से प्यार करो और तजुर्बा कर लो,
ये रोग ऐसा है जिसमें दवा नहीं लगती।
इन्कार जैसी लज्जत इक़रार में कहाँ,
बढ़ता रहा इश्क ग़ालिब उसकी नहीं-नहीं से।
किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी,
फिर मैंने जो लिखे वो ख्याल क्यों तेरे।
मुझ सा कोई जहान में नादान भी न हो,
कर के जो इश्क कहता है नुकसान भी न हो।
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में,
नजर जब मिली थी मुस्कराये तुम भी थे।
तुमको हजार शर्म सही मुझको लाख ज़ब्त,
उल्फ़त वो राज़ है जो छुपाया ना जायेगा।
फिर से हो रही थी मुझे मोहब्बत उससे,
न खुलती आँख तो वो मेरा हो चुका होता।
मोहब्बत एक खुशबू है हमेशा साथ रहती है,
कोई इंसान तन्हाई में भी कभी तन्हा नहीं रहता।
मोहब्बत क्या है चलो दो लफ़्ज़ों में बताते हैं,
तेरा मजबूर करना और मेरा मजबूर हो जाना।
तेरे खामोश होंठों पर मोहब्बत गुनगुनाती है,
तू मेरा है मैं तेरा हूँ बस यही आवाज़ आती है।
अनजान सी राहों पर चलने का तजुर्बा नहीं था,
इश्क़ की राह ने मुझे एक हुनरमंद राही बना दिया।
111+किसी को जलाने की एटीट्यूड शायरी
मुझे मालूम है मेरे मुकद्दर में तुम नहीं लेकिन,
मेरी तक़दीर से छुप कर एक बार मेरे हो जाओ।
सिर्फ एक बार आओ दिल में देखने मोहब्बत अपनी,
फिर लौटने का इरादा हम तुम पर छोड़ देंगे।
मुहब्बत मेरी भी बहुत असर करती है,
याद आएंगे बहुत जरा भूल के देखो।
सदियों का रतजगा मेरी रातों में आ गया,
मैं एक हसीन शख्स की बातों में आ गया।
तेरे ख्याल में जब बेख्याल होता हूँ,
जरा सी देर को ही सही बेमिसाल होता हूँ।
लोग देखेंगे तो अफ़साना बना डालेंगे,
यूँ मेरे दिल में आओ कि आहट भी ना हो।
तेरा ज़िक्र तेरी फ़िक्र तेरा एहसास तेरा ख्याल,
तू खुदा तो नहीं फिर हर जगह क्यों है।
मुश्किल नहीं था इश्क़ की बाज़ी को जीतना,
बस जीतने के खौफ से खुद को हारे चले गए।
खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैर,
पर दिल की जान लेते हैं दिलबर कहे बग़ैर।
आँखों के रास्ते मेरे दिल में उतर गये,
बंदा-नवाज़ आप तो हद से गुज़र गये।
बैठे हैं तेरे दर पे कुछ कर के उठेंगे,
या वस्ल ही हो जायेगा या मर के उठेंगे।
हँस के चल दूँ मैं काँच के टुकड़ो पर,
अगर वो कह दे उसके बिछाए फूल हैं।
मोहब्बत करना कोई हमसे सीखे,
जिसे टूटकर चाहा वो अब तक बेखबर है।
मैं खुद पहल करूँ या उधर से हो इब्तिदा,
बरसों गुज़र गए हैं यही सोचते हुए।
तू मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है,
सुकून बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर।
ये न समझ कि मैं भूल गया हूँ तुझे,
तेरी खुशबू मेरे सांसो में आज भी है।
मजबूरियों ने निभाने न दी मोहब्बत,
सच्चाई मेरी वफाओं में आज भी है।
मैं अल्फाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ।
कब पूछा मैंने कि क्यूँ दूर हो मुझसे,
मैं दिल रखता हूँ तेरे हालात समझता हूँ।
मैं दीवाना हूँ तेरा मुझे इंकार नहीं,
कैसे कह दूं कि मुझे तुमसे प्यार नहीं।
कुछ शरारत तो तेरी नज़रों में भी थी,
मैं अकेला ही तो इसका गुनहगार नहीं।
उँगलियाँ मेरी वफ़ा पर न उठाना लोगों,
जिसको शक हो वो मुझसे निबाह कर देखे।
एक तेरी तमन्ना ने कुछ ऐसा नवाज़ा है,
माँगी ही नहीं जाती अब कोई और दुआ हमसे।
सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर,
पहले वो मुझे अपना गुनहगार तो कर ले।
एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल की रेत पर,
फिर उम्र भर हवा से मेरी दुश्मनी रही।
उस शख्स में बात ही कुछ ऐसी थी,
हम अगर दिल न देते तो जान चली जाती।
खयालों में उसके मैंने बिता दी ज़िंदगी सारी,
इबादत कर नहीं पाया खुदा नाराज़ मत होना।
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें,
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं।
तुमको चाहा तो ख़ता क्या है बता दो मुझको,
दूसरा कोई तो अपना सा दिखा दो मुझको।
देखना हश्र मैं जब तुम पे मचल जाऊँगा,
मैं भी क्या वादा तुम्हारा हूँ कि टल जाऊँगा।
वो तो ख़ुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा,
मसला फूल का है फूल किधर जाएगा।
हमारे इश्क़ को यूं न आज़माओ सनम,
पत्थरों को धड़कना सिखा देते हैं हम।
छू जाते हो तुम मुझे हर रोज एक नया ख्वाब बनकर,
ये दुनिया तो खामखां कहती है कि तुम मेरे करीब नहीं।
कभी तुम आ जाओ ख्यालों में और मुस्कुरा दूँ मैं,
इसे गर इश्क़ कहते हैं तो हाँ मुझे इश्क़ है तुमसे।
शायद वो अपना वजूद छोड़ गया है मेरी हस्ती में,
यूँ सोते-सोते जाग जाना मेरी आदत पहले कभी न थी।
छुपाने लगा हूँ आजकल कुछ राज अपने आप से,
सुना है कुछ लोग मुझको मुझसे ज्यादा जानने लगे हैं।
वो अच्छे हैं तो बेहतर, बुरे हैं तो भी कबूल,
मिजाज़-ए-इश्क में ऐब-ओ-हुनर देखे नहीं जाते।
परवाने को शमा पर जल कर कुछ तो मिलता होगा,
सिर्फ मरने की खातिर तो कोई प्यार नहीं करता।
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदम,
विसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं।
120+ किसी की याद में दर्द भरी शायरी
निष्कर्ष
आज के इस आर्टिकल में हमने आपको 110+ पेज पर लिखी हुई शायरी बताई हैं जो कि बहुत ही ज्यादा बेहतरीन और लाजवाब शायरी हैं और यकीनन आपको काफी ज्यादा पसंद भी आई होंगी। दोस्तों अगर आपको हमारा आज का यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले ताकि वह भी हमारे आज के लेख को आसानी के साथ पढ़ सकें और वह भी Page Par Likhi Hui Shayari को पढ़ सकें।