Best 101+ Kumar Vishwas Shayari | कुमार विश्वास की शायरी (2024)
दोस्तों Suvicharin.com पर आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए Kumar Vishwas Shayari लेकर आए हैं जो आपको काफी पसंद आएंगी। शायरी तो आपने बहुत सुनी होंगी लेकिन Kumar Vishwas Shayari शायरी की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। कुमार विशवास भारत के एक प्रशिद्ध कवि माने जाते हैं।
कुमार विश्वास जी ने दिल को छू जाने वाली प्यार, दोस्ती, देशभक्ति, तथा अन्य प्रकार की शायरियां एवं कविताएं लिखीं हैं। Kumar Vishwas Shayari पढ़ने के बाद आप इनके दीवाने हो जाएँगे। यदि आपने Kumar Vishwas Shayari नहीं पड़ी है और आप उनकी शायरी पढ़ना चाहते हैं तो हमारे साथ अंत तक बने रहिए।
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
उम्मीदों का फटा पैरहन, रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में, किस-किस से मिलना पड़ता है।
कितना मुश्किल है ख़ुद को ही ख़ुद के दिल की सीपी में ढाल कर रखना,
आप के पास तो लाखों होंगे मेरे वाला सँभाल कर रखना।
स्वंय से दूर हो तुम भी, स्वंय से दूर है हम भी बहुत प्रसिद्ध हो तुम भी,
बहुत प्रसिद्ध हो हम भी बड़े मगरूर हो तुम भी,
बड़े मगरूर हो हम भी अतः मजबूर हो तुम भी, अतः अनुपालन है हम भी।
Best 101+ Bhojpuri Shayari Status
एक दो दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा,
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा,
आज जो “बांधा” है इन में तो बहल जायेंगे,
रोजइन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा।
खुशहाली में एक बदहाली,
में भी हूँ और तू भी है हर निगाह पर एक सवाली,
में भी हूँ और तू भी है दुनिया कितना अर्थ लगाए,
हम दोनों को मालूम है भरे-भरे पर खाली-खाली,
में भी हूँ और तू भी है।
मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा,
जागती रहना तुझे तुझ से चुरा ले जाऊँगा।
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते,
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते,
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख,
सुन भर लोजो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते।
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से,
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है।
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे।
तुम ग़ज़ल बन गयी, गीत में ढल गयी,
मंच से मैं तुम्हे गुनगुनाता रहा।
अपनी दुनिया अपनी धुन मे खो जाऊ तो क्या होगा?
जैसी तुम हो मै भी वैसा हो जाऊ तो क्या होगा?
एक दोदिन मे वो इकरार कहाँ आएगा,
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा,
आज जो बांधा है इन में तो बहल जायेंगे,
रोजइन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा।
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद में अभी सारा जमाना है,
कई जीत है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूँ मुझे इक रोज़ खाली हाथ जाना है।
ना #पाने की खुशी है कुछ ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने,
रोज मरने में, मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
दिलों से दिलों का सफर आसान नहीं होता,
ठहरे हुए दरिया में तुफान नहीं होता,
मोहब्बत तो रूह में समा जाती है,
इसमें शब्दों का कोई काम नहीं होता,
मैं कवि हूं प्रेम का बांट रहा हूं प्रेम,
इससे बड़ा कोई काम नहीं होता।
दिल के तमाम ज़ख्म,
तेरी हाँ से भर गए, जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुजर गए।
कोई कब तक महज सोचे,
कोई कब तक महज गाए ईलाही क्या ये मुमकिन है,
कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ मेरा मेहताब,
उसकी रात के आगोश मे पिघले,
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ।
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ,
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है,
नहीं लेकिन तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ।
मेरा ख़याल तेरी चुप्पियों को आता है,
तेरा ख़याल मेरी हिचकियों को आता है।
जब भी मुँह ढक लेता हूँ, तेरे जुल्फों की छाओ में,
कितने गीत उतर आते हैं, मेरे मन के गाँव में।
बतायें क्या हमें किन-किन सहारों ने सताया है,
नदी तो कुछ नहीं बोली, किनारों ने सताया है,
सदा ही शूल मेरी राह से ख़ुद हट गए लेकिन,
मुझे तो हर घडी हर पल बहारों ने सताया है।
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने,
रोज मरने में, मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है।
मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं,
कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं,
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे जो मैं,
खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं।
पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना जो दिल हारा हुआ हो,
उस पे फिर से अधिकार क्या करना मोहब्बत का मज़ा तो,
डूबने की कशमकश में है, जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना।
जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है,
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है।
दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए।
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न,
दोनों को खुद पसंदगी की लत बुरी भी है,
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ,
मग़र मुझे कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है।
मिलते रहिये कि मिलते रहने से,
मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं।
जब भी आना उतर के वादी में ,ज़रा सा चाँद लेते आना तुम,
मिलते रहिए, कि मिलते रहने से, मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं।
हर मजहब से सीखा हमने ,
पहले देश का नारा, मत बांटो इसे एक ही रहने दो,
प्यारा हिंदुस्तानहमारा।
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है।
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा,
तो हंगामा हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा,
तो हंगामा अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा।
पनाहों में जो आया हो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर से अधिकार क्या करना,
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहरायी तो दरिया पार क्या करना।
जब से मिला है साथ मुझे आप का हुज़ूर,
सब ख़्वाब ज़िंदगी के हमारे सँवर गए।
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है,
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है,
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम,
गंगा माँ समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है।
110+ लड़कियों को जलाने वाली शायरी
तुम अगर राग माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुमसे शबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही।
गम में हूँ य़ा हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं,
खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं,
मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं,
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं।
उसी की #तरह मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर हो कोई ठिकाना चाहे।
बदलने को तो इन आखों के मंजर काम नहीं बदले,
तुम्हारी याद के मौसम हमारे ग़म नहीं बदले,
तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी तब तो मानोगी,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले।
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ किसी की इक तरनुम में,
तराने भूल आया हूँ मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ।
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने,
रोज़ मरने में मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
मेरे जीने मरने में तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी तो घनश्याम आएगा।
फिर मिरी याद आ रही होगी फिर वो दीपक बुझा रही होगी
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकतेमगर रस्मे-वफ़ा ये है,
कि ये भी कह नहीं सकतेजरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर,
लोजो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।
रंग दुनियाने दिखाया है निराला,
देखूँ है अंधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ ,
आईना रख दे मेरे सामने,
आखिर मैं भी, कैसा लगता हूँ तेरा चाहने वाला देखूँ।
सियासत में तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता,
तेरी शर्तों पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता,
भले साजिश से गहरे दफ्न मुझको कर भी दो पर मैं,
सृजन का बीज हूं मिट्टी में जाया हो नहीं सकता।
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंजिल पे कौन पहुँचेगा,
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है, रोज़ जीने,
रोज़ मरने में मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊंगा,
हो के क़दमों पे निछावर फूल ने बुत से,
कहा ख़ाक में मिल कर भी मैं ख़ुशबू बचा ले जाऊंगा,
कौन सी शय मुझ को पहुंचाएगी,
तेरे शहर तक ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊंगा।
कहीं पर जग लिए तुम बिन कहीं पर सो लिए तुम बिन,
भरी महफिल में भी अक्सर अकेले हो लिए तुम बिन,
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने कभी तो,
हंस लिए तुम बिन कभी तो रो लिए तुम बिन।
आदमी होना ख़ुदा होने से बेहतर काम है,
ख़ुद ही ख़ुद के ख़्वाब की ताबीर बन कर देख ले।
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में,
मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है।
हमारे शेर सुन कर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरूर-ए-हुस्न में मदहोश कितना है,
किसी प्याले से पुछा है सुराही मैं सबब में का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है।
तुमने अपने होठों से जब छुई थीं ये पलकें,
नींद के नसीबों में ख्वा़ब लौट आया था,
रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के,
तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था।
वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,
विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,
मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,
तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में।
स्वंय से दूर हो तुम भी ‘स्वंय’ से दूर है,
हम भी बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है,
हम भी बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है,
हम भी अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी।
मेरे लहज़े में जी हुजूर न था,
इससे ज़्यादा मेरा कसूर न था।
पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना,
मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना।
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है।
जिस्म चादर सा बिछ गया होगा,
रूह सिलवट हटा रही होगी।
तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना,
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,
विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,
मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,
तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में।
मैं तो झोंका हूँ हवाओ का उड़ा ले जाऊंगा,
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊंगा।
जायका का देखकर बोला यह नजमी मुझे,
जो भी मांगा है वह हर हाल में मिल जाएगा,
क्या मुबारक है नया साल जो मैं खुश होऊ,
वह जो बिछड़ा है क्या इस साल में मिल जाएगा।
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूं,
किसी की एक तरन्नुम में, तराने बुलाया हूं,
मेरी अब रहमत तकना, कभी आसमां वालों,
मैं एक चिड़िया की आंखों में उड़ने बुलाया हूं।
तुम अगर राग माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुमसे सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बंद हो तो सही।
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता,
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता,
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो,
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
अपने ही आप से इस तरह हुए हैं,
रुख़्सत साँस को छोड़ दिया जिस सम्त भी जाना चाहे।
अमावस की काली रातों में जब दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की प्याली रातों में गम आंसूं के संग होते हैं,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं।
चारों तरफ़ बिखर गईं साँसों की ख़ुशबुएँ,
राह-ए-वफ़ा में आप जहाँ भी जिधर गए।
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है,
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है,
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है।
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना,
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी तो घनश्याम आएगा।
मेरे जीने_मरने में, तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेंगी,
तो घनश्याम आएगा।
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।
जब उंच नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती हैं ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है।
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करनाजो दिल हारा हुआ,
हो उस पे फिर अधिकार क्या करनामुहब्बत का मजा,
तो डूबने की कशमकश में है हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने, रोज मरने में,
मुक्कमल जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है मगर धरती की बेचैनी,
को बस बादल समझता है मैं तुझसे दूर कैसा हू,
तू मुझसे दूर कैसी है ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है।
कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सोलिए तुम बिन भरी महफिल में भी अक्सर,
अकेले हो लिए तुम बिन ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है,
अपने कभी तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रोलिए तुम बिन।
“कहीं पर जग लिए तुम बिन, कहीं पर सो लिए तुम बिन,
भरी महफिल में भी अक्सर, अकेले हो लिए तुम बिन ,
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने कभी,
तो हंस लिए तुम बिन, कभी तो रो लिए तुम बिन।
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है,
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है,
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा,
माँ समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है।
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा मैं सांस रोक लू फिर भी,
यही इलज़ाम आएगा हर एक धड़कन में जब तुम हो,
तो फिर अपराध क्या मेरा अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा।
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है,
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है,
मुझकों सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,
जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,
मेरे जीने मरने में तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी तो घनश्याम आएगा।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता,
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता,
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो,
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है,
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है,
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ,
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है।
ना पाने की खुशी है कुछ ,ना खोने का ही कुछ गम है,
ये “दौलत” और शौहरत सिर्फ कुछ “जख्मों” का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में,
मुक्कमल” जिंदगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे,
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा?
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है,
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है लो हमने देख ली दुनिया,
जो इतनी खुबसूरत है जमाना अपनी समझे पर,
मुझे अपनी खबर यह है तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है।
जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है,
जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है,
दिल के तमाम ज़ख़्म तिरी हाँ से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वो सब गुज़र गए।
Best 110+ पेज पर लिखी हुई शायरी
जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है,
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है।
मुस्कुराहटें किस्मत में होनी चाहिए,
तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है।
दिल के तमाम जख्म तेरी हां से भर गए,
जितने कठिन थे रास्ते वह सब गुजर गए।
मैं तेरा ख्वाब जी लूं पर लाचारी है,
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिश पे भारी है,
सुबह के सर को जालौर से तेरी मांग से,
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है।
निष्कर्ष
दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए भारत के प्रसिद्ध जाने माने कवि और शायर कुमार विश्वास की शायरी लेकर हाजिर हुए, उम्मीद करते हैं आपको Kumar Vishwas Shayari पसंद आई होगी, हर रोज इसी तरह की नई नई शायरियाँ पाने के लिए जुड़े रहिए “Suvicharin.com” वेबसाइट के साथ तब तक के लिए धन्यवाद।