Best 80+ गरीबी पर शायरी | Garibi Shayari in Hindi (2024)
दोस्तों आज के समय में शायरी बहुत ज्यादा प्रचलित हो रही है शायरी के द्वारा आप किसी का भी दिल जीत सकते हैं। आपने बहुत सारी शायरी सुनी और पड़ी होगी लेकिन यदि आप हर रोज नहीं नई शायरी पढ़ने के शौकीन है तो आप बिल्कुल सही वेबसाइट पर आए हैं क्योंकि इस वेबसाइट पर हम नई-नई चुनिंदा शायरी लेकर आते रहते हैं। आज हम आपके लिए 80+ गरीबी पर शायरी लेकर आए हैं जो काफी दिलचस्प और दिल को छू जाने यह बात है।
आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर गरीबी देखने को मिल जाती है इसकी सबसे बड़ी वजह यह है ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति अच्छी नहीं होती है जिस वजह से रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। यदि आप या आपके मिलने वाले भी ऐसे क्षेत्र में रह रहे हैं जहां रोजगार के अवसर कम है तो गरीबों की समस्या वहां भी देखने को मिल सकती है। गरीबों को ध्यान में रखते हुए हम आज की इस पोस्ट में 80+ गरीबी पर शायरी लेकर आए हैं।
मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना,
हकीम बहुत है बाजार में अमीरों के इलाज की खातिर।
जिस बस्ती में गरीब बसते हैं,
वहां रोटी महंगी गम सस्ते हैं।
बस एक बात का मतलब मुझे आज तक समझ नहीं आया,
जो गरीब के हक के लिए लड़ते हैं वह अमीर कैसे बन जाते हैं।
मौत जरा पहले आना,
गरीब के घर कफन का खर्च दबाओं में निकल जाता है।
ऐ रियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया,
गरीबों को गरीब अमीरों को मालामाल कर दिया।
सहम उठाते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ से,
महलों की आरजू यह है की बरसात तेज हो।
हम गरीब लोग हैं किसी को मोहब्बत के सिवा क्या देंगे,
एक मुस्कुराहट थी वो भी बेवफा लोगों ने छीन ली।
मैं गरीब का बच्चा था इसलिए भूखा रह गया,
पेट भर गया वो कुत्ता जो अमीर के घर का था।
अपने मेहमान को पलकों पर बिठा लेती है,
गरीबी जानती है घर में बिछौने कम है।
मजबूरियां हावी हो जाएँ यह जरूरी तो नहीं,
थोड़े बहुत शौक तो गरीबी भी रखती है।
अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी,
जिसे भी मौका मिलता है वह पीता जरूर है।
तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पर है,
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पर है।
इस नसीहत कहो या जुबानी चोट साहब,
एक शख्स कह गया गरीब मोहब्बत नहीं करते।
चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने,
सब कह रहे थे कि कुछ खाकर मर गया।
मोहब्बत भी सरकारी नौकरी लगती है साहब,
किसी गरीब को मिलती ही नहीं।
सूखी रोटी को भी खाते हुए देखा मैंने,
सड़क किनारे वह भिखारी शहंशाह निकला।
यह गंदगी तो महल वालों ने फैलाई है साहब,
वरना गरीब को सड़कों से थैलियाँ तक उठा लेते हैं।
किसी भूखे से पूछ कर देखो,
रोटी की खुशबू इश्क पर भारी है।
गरीब की आग अगर आंखों की नमी से मिट जाए तो अद्भुत अंजाम होगा,
ना ही कोई गरीब होगा ना ही कोई बदनाम होगा।
गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है, इनकी कोई जात न पूछो तो अच्छा है,
चेहरे कई वे नकाब हो जाएंगे ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है।
मैं कड़ी धूप में चलता हूं इस यकीन के साथ,
मैं जलूँगा तो मेरे घर में उजाले होंगे।
यूं गरीब कहकर खुद की तौहीन न कर ऐ बन्दे,
गरीब तो वो लोग हैं जिनके पास ईमान नहीं।
क्या किस्मत पाई है रोटियों ने भी,
निवाला बनाकर रईसों ने आधी फ़ेंक दी।
आमिर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है,
उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है।
कैसे मोहब्बत करूं बहुत गरीब हूं साहब,
लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पता।
शाम को थक कर टूटे झोपड़ी में सो जाता है वह मजदूर,
जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता है।
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अमीर की छत पर बैठा हुआ कौवा भी मोर लगता है,
गरीब का भूखा का बच्चा भी चोट लगता है।
वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं।
पेट की भूख ने जिंदगी के हर एक रंग दिखा दिए,
जो अपना बोझ उठा न पाए पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए।
ज़रूरतों की भूख जब पेट में शोर मचाती है,
दिल की ख्वाहिशें कुछ – कुछ चुप सी पड़ जाती हैं।
छुपाता था वह गरीब अपनी भूख को गुरबत में,
अब वह भी फक्र से रहेगा मेरा रोज़ा है।
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ,
एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा।
बहुत जल्दी सीख लेता हूं जिंदगी का सबक,
गरीब बच्चा हूं बात-बात पर जीत नहीं करता।
जब भी देखता हूं किसी गरीब को हंसते हुए,
तो यकीन आ जाता है की खुशियों का ताल्लुक दौलत से नहीं होता।
उन्हें यह सोचकर अलविदा कह दिया,
गरीब लोग हैं मोहब्बत के सिवा क्या देंगे।
सुला दिया मां ने बहू के बच्चे को यह कहकर,
परियां आएंगी सपनों में रोटिया लेकर।
यहां गरीबों को मारने की जल्दी यूं भी है,
कहानी कफन महंगा ना हो जाए।
मैं क्या मोहब्बत करूं किसी से मैं तो गरीब हूं,
लोग अक्सर बिकते हैं और खरीदना मेरे बस में नहीं
जनाजा बहुत भारी था उसे गरीब का,
शायद सारे अरमान साथ लिए जा रहा था।
उन घरों में जहां मिट्टी के खड़े रहते हैं,
कद में छोटे मगर लोग बड़े रहते हैं।
कभी आंसू तो कभी खुशी बेची हम गरीबों ने बेकसी बची,
चंद सांसे खरीदने के लिए रोज थोड़ी सी जिंदगी बची।
यूं ना झक करो किसी गरीब के दिल में,
के वहां हसरतें पहले पास रहती हैं।
कैसे बनेगा अमीर वह हिसाब का कच्चा भिखारी,
जो एक सिक्के के बदले जो भी कीमती दुआएं देता है।
जो गरीबी में एक दिया भी ना जाला सका,
एक अमीर का पटाखा उसका घर जल गया।
हजारों दोस्त बन जाते हैं जब पैसा पास होता है,
टूट जाता है गरीबी में जो रिश्ता खास होता है।
गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में,
तभी तो त्यौहार आते हैं खुशियाँ लेकर।
भटकती है हबस दिन-रात सोने की दुकानों पर,
गरीबी कान छिदबाकर तिनके डाल देती है।
सर्दी गर्मी बरसात और तूफान में झेलता हूँ गरीब हूं,
खुश होकर जिंदगी का हर एक खेल खेलता हूं।
रजाई की रोटी गरीबों के आंगन में दस्तक देती है,
जब गर्म रखने वाले ठंड से नहीं मरते।
अमीरी ने सिखाया जीना दौलत तोल के,
मुफलिसी ने सिखाया जीना मीठा बोल के।
पेट की भूख ने जिंदगी के हर एक रंग दिखा दिए।
न जाने वह किस खिलौने से खेलता है,
गरीब का बच्चा जो पूरे दिन मेले में गुब्बारे बेचता है।
रोज शाम मैदान में बैठ यह कहते हुए एक बच्चा रोता है,
हम गरीब हैं इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता है।
एक गरीब जो दो रोटी में पूरा जीवन गुजार देता है,
वह ख्वाहिशों को पलटा नहीं है उन्हें मार देता है।
तुम रूठ गए थे जिस उम्र में खिलौना न पाकर,
मेरा दोस्त वे ऊब गए थे उसे उम्र में पैसा कमा कमा कर।
हमने कुछ ऐसे भी गरीब देखे हैं,
जिनके पास पैसों के अलावा कुछ भी नहीं।
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अब मैं हर मौसम में खुद को ढाल लेता हूं,
छोटा हूं पर अब मैं बड़ों का पेट पाल लेता हूं।
जिन बच्चों के सर से मां-बाप का साया है जाता है,
उन्हें ऐसे हालात में देखकर कलेजा मेरा फट जाता है।
कमी लिबास की तन पर अजीब लगती है ,
अमीर बाप की बेटी गरीब लगती है।
पैसे से गरीब है हम,
पर दिल के बहुत अमीर हैं हम।
मैं गरीब की सांस को गुब्बारे में बिकते देखा है ,
घर में झूला जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है।
हैरत की निगाहों से मुझे देखने वालों,
लगता है तुमने कभी समुद्र नहीं देखा।
पैसों की गरीबी अच्छी होती है दिल की गरीबी से,
और तन्हाई अच्छी होती है मतलब की करीबी से।
आज समय में सबको इकोनॉमी की फिक्र है,
उस गरीब की जोबा पर रोटी का जिक्र है।
क्या खूब फरेब का नकाब ओढ़े हुए रियासत मौन है,
हुकुम रानो के दौर में गरीब की भला सुनता कौन है।
जिस इंसान की जिंदगी में गरीबी का खिलौना है,
उसकी राहों में बस कांटों का बिछौना है।
दिखाने को दुःख तो सभी जताते हैं मगर कोई भी आँसू क्यों नहीं पोछता,
अभी अपनी रोटी में से एक किसी और को दे दूं इस बात को कोई क्यों नहीं सोचता,
अमीरी तो खूब ऐश में है गरीबों के यहां अभी तंगहाली है,
सूरज भैया थोड़ी सी जरा अपनी तपिस बढ़ा दो, सर्दी का कर अभी जारी है।
किस्मत को खराब बोलने वालों,
कभी किसी गरीब के पास बैठकर पूछना जिंदगी क्या है।
दो वक़्त की रोटी कभी दो वक़्त के लाले,
गरीब की तक़दीर में क्या बोसा ए मोहब्बत क्या आरज़ू ए निवाले
मेरे अंदर के अंगार को लोग राख समझ लेते है,
मज़बूरी नहीं समझता कोई मेरी गरीबी को लोग मज़ाक समझ लेते है।
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सुक्र है की मौत सबको आती है,
वरना अमीरी इस बात का भी मजाक उड़ाते,
कि गरीब था इसलिए मर गया।
गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं,
समंदर की तलाशी कोई नही लेता।
गरीबी का आलम कुछ इस कदर छाया है,
आज अपना ही दूर होता नजर आया है।
वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है,
न वो सूरज निकलता है न अपने दिन बदलते हैं।
दिखने में वो गरीब थे साहब,
मगर उनकी हसीं नवाबो से काम नहीं।
नये कपड़े, मिठाईयाँ गरीब कहाँ लेते है,
तालाब में चाँद देखकर ईद मना लेते है।
बड़ा शौक था उन्हे मेरा आशियाना देखने का,
जब देखी मेरी गरीबी तो रास्ता बदल लिया।
कभी भी अपनी दौलत और ताकत पर घमंड ना करना,
ग़रीबी और बीमरी आने में देर नहीं लगती।
जब ईद होगी हम क्या पहनेंगे,
चांद से कह दो अभी तय्यार नहीं हम।
उसको मिल गए उसके मियार के लोग,
मेरी गरीबी मेरी मुहब्बत की क़ातिल निकली।
अपनी ज़िन्दगी में हर कोई अमीर है,
गरीब तो यह ख्वाहिश बना देती है।
निष्कर्ष
आज का हमारा यह लेख गरीबी शायरी पर आधारित था बहुत से लोगों की यह डिमांड रहती है की गरीबी पर शायरी के बारे में हमें बेहतर से बेहतर पोस्ट मिल सके इसलिए आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए गरीबी पर शायरी लेकर आए हैं। उम्मीद करते हैं आपको गरीबी पर शायरी पसंद आई होगी।
यदि आपको हमारे द्वारा लिखी गई यह गरीबी पर शायरी पसंद आई है तो आप इसे अपने दोस्तों में भी शेयर कर सकते हैं इसी प्रकार की नई-नई शायरी के बारे में जानने के लिए हमारी वेबसाइट “सुविचार इन” से जुड़े रहिए जिस पर हम हर रोज मन को भा जाने वाली शायरी और सुविचार लेकर आते रहते हैं।